तस्वीर 28 मई को मुरादनगर की है, जहां रालोद के सामाजिक समरसता अभियान में बोलते रालोद मुखिया जयंत चौधरी, जयंत ने यहां महिला पहलवानों के समर्थन में अपनी बात रखी थी।
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले वेस्ट यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जयंत चौधरी गांव-गांव जा रहे हैं। रालोद मुखिया गांवों में समरसता अभियान चला रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो इस समरसता अभियान के जरिए जयंत पश्चिम के मुसलमानों को साधने निकले हैं। वेस्ट यूपी में रालोद और कांग्रेस के नए गठबंधन की सुगबुगाहट तेज हो रही है। यह उसी की तैयारी है।

जयंत समरसता अभियान के जरिए पश्चिमी यूपी के 1500 गांवों में जाएंगे। अब तक 150 गांवों में संवाद कर चुके हैं। हर वर्ग, बिरादरी से बातचीत कर रहे हैं। जाटों, किसानों, पिछड़ों के अलावा मुसलमानों को अपने साथ लेकर जयंत पश्चिम में नए गठबंधन की नींव तैयार करने में लगे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शादाब रिजवी कहते हैं, ”पश्चिमी यूपी के 17 जिलों में प्रभाव रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल अब तक सपा, बसपा, आसपा से हाथ मिला चुकी है। 2022 से पहले रसातल में जा रही रालोद को किसान आंदोलन का फायदा मिला। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर से रालोद खत्म हो रही थी। 2017 विधानसभा चुनाव में भी रालोद का खाता नहीं खुल सका।”

2019 लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा के साथ आई रालोद ने कोई सीट नहीं जीती। 2022 में भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों के बगावती सुर पर रालोद ने प्रहार किया। रिजल्ट यह निकला कि वेस्ट यूपी में खत्म होती रालोद ने 8 सीटें जीत लीं।

खतौली उपचुनाव में भी रालोद का सिक्का चला, भाजपा की सिटिंग सीट पर रालोद ने जीत दर्ज कराई। गुर्जर प्रत्याशी मदन भैया रालोद से बड़े अंतर से जीत गए। कहें तो रालोद अब नए समीकरणों पर सियासी शोध कर रही है। जिसमें जाट, मुस्लिम, पिछड़ा, दलित, मजदूर, किसान सब शामिल हैं।

2022 विधानसभा चुनाव, निकाय चुनाव में रालोद ने सपा से हाथ मिलाया। लेकिन दोनों चुनावों में टिकटों के बंटवारे को लेकर रालोद को समझौता करना पड़ा। कई रालोद नेता इससे खफा होकर पार्टी छोड़कर चले गए। अब बात लोकसभा चुनाव की है ऐसे में जयंत रिस्क नहीं लेना चाहते।

अगर सपा से गठबंधन टूटता है तो रालोद इस बार आजाद समाज पार्टी और कांग्रेस के साथ आ सकती है। आसपा के चंद्रशेखर से मिलकर जयंत ने जाट, दलित के समीकरण जोड़ने शुरू कर दिए हैं। कांग्रेस के साथ जाने के लिए जयंत अपने वोटबैंक को मजबूत कर रहे हैं। गठबंधन में जाट, दलित और मुस्लिमों का मजबूत वोट बैंक रख सकें। राजस्थान में दोनों दल साथ भी हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी यूपी में रालोद के प्रभाव वाले क्षेत्रों से होकर गुजरी। इन जिलों में रालोद नेताओं और विधायकों ने यात्रा को पूरा सहयोग, समर्थन दिया। रालोद नेता खुद यात्रा में पहुंचे। बागपत और शामली में आरएलडी के नेता और कार्यकर्ता भी भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा बने। जयंत चौधरी ने स्वयं यात्रा का समर्थन किया।

ट्वीट करते हुए इस यात्रा को लोगों को एक सूत्र में जोड़ने वाला बताया था। कहा कि तप कर ही धरती बनी ईंटें छू लेती हैं आकाश, भारत जोड़ो यात्रा के तपस्वियों को सलाम। जयंत को भी कांग्रेस की तरफ से यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण गया था। लेकिन उन्होंने राजनीतिक कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते यात्रा में जुड़ने से इनकार कर दिया था।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव कुलदीप उज्जवल ने पश्चिमी यूपी में यात्रा का नेतृत्व किया था। बागपत जिलाध्यक्ष जगपाल सिंह तेवतिया, वरिष्ठ नेता रोहित जाखड़ भी यात्रा में पहुंचे थे।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते हैं कि जयंत चौधरी सबके साथ सबसे संवाद की विचारधारा पर भरोसा रखते हैं, उसी पर चलते हैं। विधानसभा चुनाव में भी वो किसान मजदूर सम्मेलन करते रहे। अब समरसता अभियान का उद्देश्य समाज के हर वर्ग, जाति, बिरादरी के साथ खड़े होना है। छोटे चौधरी पार्टी की नीतियों को सब तक पहुंचा रहे हैं।

रालोद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने कहा, जयंत के साथ पश्चिमी यूपी की जनता है। वह हर वर्ग के साथ हैं।

रालोद के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय जाट महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ कहते हैं जयंत हमेशा हर वर्ग के साथ हैं। समरसता अभियान के जरिए वो 1500 गांवों में जाएंगे। लोगों की मूल परेशानियों को सुनेंगे, समझेंगे, उन परेशानियों को कैसे दूर करना है इस पर निर्णय भी लेंगे। पश्चिम की जनता उनके साथ है।

रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुनील रोहटा ने कहा, जयंत समरसता अभियान के माध्यम से सर्व समाज को एक सूत्र में पिरोने का काम कर रहे हैं।

रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुनील रोहटा कहते हैं, ये समरसता अभियान पूरे समाज को एक साथ लाने, एक सूत्र में पिरोने का माध्यम है। देश में दलों ने अब तक जनता को बिरादरी, धर्म, जाति में बांटा है। किसी को सुना गया तो जनता के एक भाग को दरकिनार कर अनसुना कर दिया। रालोद वो दल है, जहां सभी की सुनवाई है। इसलिए जयंत चौधरी समरसता अभियान के जरिए हर वर्ग, बिरादरी से मिल रहे हैं। चाहे हिंदू हो या मुस्लिम सब बराबर हैं। अब तक 150 गांवों में संवाद कर चुके हैं।

यूपी में लोकसभा चुनाव में रालोद, कांग्रेस गठबंधन की तस्वीर खींचने का सिलसिला शुरू हो चुका है। कर्नाटक में सीएम सिद्धरमैया के शपथ ग्रहण समारोह में यूपी से जाने वाले नेताओं में जयंत चौधरी अकेला चेहरा थे।

जिस दिन कर्नाटक में शपथ ग्रहण समारोह था, जयंत उस दिन बागपत में अपने समरसता अभियान को छोड़कर कर्नाटक पहुंचे। सारे आयोजन रद्द कर दिए। राहुल गांधी ने मंच से जयंत चौधरी का नाम लिया, उनका स्वागत भी किया। यूपी में जब भी सपा मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस पर हमलावर होते हैं जयंत ने कभी कांग्रेस पर सख्त रुख नहीं दिखाया।