नई दिल्ली। नीति आयोग की संचालन समिति की बैठक से बिहार के सीएम नीतीश कुमार के दूरी बनाने के तत्काल बाद जदयू ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने की घोषणा की है। इस घोषणा के साथ ही राज्य में भाजपा और जदयू के बीच कड़वाहट बढ़ने का साफ संदेश गया है। दरअसल, नीतीश अहम बैठकों से दूरी बना कर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिशों में जुटे हैं।

सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर बुलाई गई बैठक से दूर रहे। हाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में दिए गए भोज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाई। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी बनाने के बाद अब नीति आयोग की बैठक से भी दूर रहे।

बिहार में नीतीश एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन तो गए, मगर इस बार भाजपा की तुलना में आधी सीटें होने के कारण उनकी हैसियत घट गई। उन्हें पहले की तरह सरकार चलाने में फ्री हैंड हासिल नहीं है। फिर नीतीश मानते हैं कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पर्दे के पीछे से चिराग पासवान के जरिये जदयू का नुकसान कराया। इसके बाद आरसीपी के जरिये यही चाल चली। नीतीश अब भी सत्ता का संतुलन हैं। भाजपा का आधार हालांकि अगड़ों के इतर अति पिछड़ा और दलितों में बढ़ा है, मगर पार्टी के पास कोई मजबूत चेहरा नहीं है। भाजपा मानती है कि वह अपने दम पर सत्ता हासिल करने की स्थिति में नहीं है।

संभालने की कोशिश
बिहार में दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ा तो राष्ट्रीय मोर्चों की बैठक के बाद भाजपा ने साफ किया कि राज्य में नीतीश ही उनके नेता हैं। पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव भी नीतीश की अगुवाई में लड़ने की घोषणा की।

सीएम नीतीश के खिलाफ षड्यंत्र हुआ है: जदयू
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा, भविष्य में जब मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो जदयू उसमें शामिल नहीं होगा। यह सीएम नीतीश का फैसला है। इतना ही नहीं ललन ने साफ कर दिया कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का गठबंधन अभी तय नहीं है। सिंह ने इशारों में भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, नीतीश के खिलाफ षड्यंत्र हुआ। उनका कद छोटा करने की साजिश रची गई। 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग मॉडल बनाकर उनके खिलाफ षड्यंत्र हुआ और अब आरसीपी को मॉडल बनाया जा रहा था। समय आने पर यह भी स्पष्ट कर दिया जाएगा कि पार्टी के अंदर कौन सी साजिश चल रही थी।