वाशिंगटन। कर्नाटक का हिजाब विवाद अब अमेरिका तक पहुंच गया है। यूएस हाउस फारेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष ग्रेगरी मीक्स ने हिजाब विवाद पर आए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है। उन्होंने फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करेगा और लड़कियों को उनके धर्म और शिक्षा के अधिकार के बीच प्रभावी ढंग से चुनने के लिए प्रेरित करेगा।
ग्रेगरी मीक्स ने क्या कहा
यूएस हाउस फारेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष ग्रेगरी मीक्स 2021 से विदेश मामलों की अमेरिकी हाउस कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हैं। उन्होंने कहा चाहे अमेरिका में, भारत में या कहीं भी, अल्पसंख्यक समुदायों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, यह एक समाज का सही पैमाना है। लेकिन कोर्ट का यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करेगा।
हाईकोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं
आपको बता दें कि कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने मंगलवार को हिजाब विवाद पर फैसला सुनाया था। उन्होंने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर आपत्ति नहीं की और उन्हें खारिज कर दिया। अपने आदेश में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि पवित्र कुरान हिजाब पहनने का आदेश नहीं देता है। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कोई केस नहीं बनता है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि हिजाब विवाद ने इस साल जनवरी में तब तूल पकड़ा था। जब उडुपी के सरकारी पीयू कालेज ने हिजाब पहनकर आने वाली छह लड़कियों को प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कालेज के बाहर धरने पर बैठ गईं और मामला कर्नाटक हाईकोर्ट तक पहुंच गया। उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी को एक अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि जब तक अदालत अंतिम आदेश जारी नहीं करती, तब तक छात्रों को कक्षाओं में कोई धार्मिक पोशाक नहीं पहनकर आएगा। हिजाब मामले से संबंधित सुनवाई 25 फरवरी को संपन्न हुई थी और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।