लखनऊ| विनय अपने पिता तेज बहादुर से मजदूरी लेने जाने की बात कहकर निकल जाता है। उसने घर से करीब 1 किलोमीटर दूर राम अनुज मास्टर के घर पर तीन दिन काम किया था। जिसकी मजदूरी 1200 रुपए बनी थी। विनय देर शाम तक नहीं लौटा, तो घर वालों को चिंता होने लगी। करीब 7 बजे गांव का रहने वाला गिरिजेश यादव विनय के एक्सीडेंट की खबर देता है। गिरिजेश बताता है, विनय को अकबरपुर के नगपुर के सामुदायिक केंद्र ले जाया गया है।
पिता तेज बहादुर बताते हैं कि हम लोग एक्सीडेंट की खबर सुनकर घबरा गए। अपने भाई जय शंकर और आसपास रहने वाले रिश्तेदारों को बताया। तुरंत सब लोग नगपुर के लिए निकले। घर से 30 किलोमीटर दूर होने की वजह से पहुंचने में करीब 45 मिनट लग गए। रात 8 बजे अस्पताल पहुंचे।
वहां पहुंचकर देखा, तो बेटा स्ट्रेचर पर बेसुध पड़ा था। वहां पर आरोपी दिग्विजय यादव का पिता राम अनुज और उनका पड़ोसी हेमंत यादव मौजूद थे। हमने बेटे की हालत देखकर उसे काफी हिलाया, लेकिन वह कुछ नहीं बोल रहा था। डॉक्टरों से पूछने पर पता चला कि विनय की मौत हो चुकी है।
सिर पर भी गहरी चोट लगी थी। लेकिन पोस्टमॉर्टम के बिना हम एक्सीडेंट ही मान रहे थे। राजस्थान में काम करने वाले दोनों बेटों को विनय के एक्सीडेंट की सूचना दी। दोनों तुरंत वहां से गांव के लिए निकल गए।
विनय के चाचा जय शंकर घर के सामने ही रहते हैं। घर पर एक्सीडेंट की सूचना मिलते ही सबसे पहले पिता तेज बहादुर उनके पास गए। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को लेकर अस्पताल के लिए निकल गए। जय शंकर बताते हैं, हम लोगों सूचना 7 बजे मिली। लड़का साढ़े 3 बजे मजदूरी लेने जाने की बात कहकर निकला था। घटना कब घटी, अभी यह क्लियर नहीं है।
विनय को मृत अवस्था में देखकर हम लोग रोने-चिल्लाने लगे। अब हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था, आखिर हुआ क्या। रोते-पीटते हमने पूछा कि ये सब कैसे हो गया। तो पता चला कि सजनपुर रोड पर एक्सीडेंट हो गया। इसके बाद मौका पाकर राम अनुज और हेमंत वहां से निकल गए।
विनय के चाचा जय शंकर बताते हैं, हमारे यहां से तीन रोड जाती हैं, सुरूरपुर, सजनपुर और बिलवारी। सजनपुर रोड पर एक्सीडेंट के बारे में पता लगाया गया। यहां मालूम हुआ कि कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ है। इस पर हमें अनहोनी की आशंका हुई। अस्पताल से पता चला कि दिग्विजय यादव पुत्र राम अनुज यादव और कुलदीप यादव ने विनय को अस्पताल पहुंचाया था। इन दोनों लड़कों के घरवाले वहां हमसे पहले पहुंच गए थे।
घबराहट में पोस्टमॉर्टम के बाद हम लोग विनय का शव लेकर घर चले आए। दिग्विजय और कुलदीप तो पहले से फरार थे, बाद में राम अनुज और हेमंत भी निकल गए। हमारे साथ घर भी नहीं आए। विनय की पीठ पर पूरा काला हो गया था। ऐसा लग रहा था कि पट्टे से मारा गया है। सिर पर लंबा गहरा घाव था।
विनय के बड़े भाई शेर बहादुर बताते हैं, जब हमें सूचना मिली कि विनय कुमार का एक्सीडेंट हो गया, तो हम उस समय राजस्थान में थे। वहां से हम घर पहुंचे, तब पूरी कहानी पता चली। गांव के रहने वाले गिरिजेश ने एक्सीडेंट की सूचना दी। परिवारवाले वहां पहुंचे, तो विनय मृत अवस्था मिला। परिजनों ने अपराधी के पिता राम अनुज और उनके पड़ोसी हेमंत यादव को वहां देखा।
ऐसी स्थिति में घरवालों का दिमाग काम नहीं करता है। वो अपने लड़के के चक्कर में पड़ गए। धीरे-धीरे जानकारी करने पर पता चला कि कोई एक्सीडेंट हुआ ही नहीं। अस्पताल से पता चला कि दिग्विजय और कुलदीप यादव ने भर्ती कराया है। उनके नाम FIR हो गई। हकीकत ये है कि मौके से जिसका पता चल पाया, उनका नाम दिया गया। मामले में सिर्फ दिग्विजय को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। बाकी जो सहयोगी-साथी हैं, वो अभी खुलेआम घूम रहे हैं।
शेर बहादुर का कहना है, 25 अगस्त को घटना हुई। 48 घंटे बाद पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार हुआ। रात को एक्सीडेंट की सूचना मिलने पर परिवार ने मुझे सूचना दी। मैं राजस्थान से सुल्तानपुर के लिए निकला। यहां आने पर पता चला कि आरोपियों ने विनय को गांव से 30 किलोमीटर दूर अस्पताल में पहुंचा दिया था।
26 अगस्त को पिता अखंडनगर थाने और नगपुर सामुदायिक केंद्र के चक्कर लगाते रहे। जल्दबाजी में पिता ने सिर्फ दिग्विजय यादव का नाम FIR में लिखवाया। जबकि इस घटना में दिग्विजय के साथ अस्पताल पहुंचाने वाला कुलदीप, अस्पताल में मौके से मौजूद उसके पिता और हेमंत और एक्सीडेंट की झूठी जानकारी देने वाला गिरिजेश यादव भी शामिल है।
पोस्टमॉर्टम के बाद देर रात शव मिलने की वजह से अंतिम संस्कार के लिए 27 अगस्त तक रोकना पड़ा। आरोपियों को न पकड़ने की वजह से आक्रोशित लोगों ने शव रखकर प्रदर्शन किया। मौके पर एसडीएम आए और सरकार से मकान व आर्थिक लाभ दिलाने का आश्वासन देकर शव का अंतिम संस्कार करने के लिए राजी किया।
आरोपी दिग्विजय यादव ने पुलिस के सामने कबूल किया है कि उसने विनय को मारा है। मारने के बाद उसने कुलदीप यादव को बुलाया। फिर दोनों गाड़ी से नगपुर अस्पताल लेकर गए। पुलिस की छानबीन में साइकिल भी घटना वाली जगह पर मिली। मारपीट वाली जगह पर डंडा भी मिला।
आरोपी दिग्विजय पूरी घटना की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। उसने हत्या करने की बात कबूल कर ली। लेकिन बाद में पुलिस के सामने बयान बदलने लगा। एक बार मजदूरी के 1200 रुपए को लेकर मारपीट की बात कही। फिर कहने लगा कि चोरी के शक में पकड़ा था।
आरोपी ने बताया कि दो दिन पहले चोरी हुई थी। जिसके चलते उससे पूछताछ कर रहा था कि यहां कैसे आए हो? अकेले हो या किसी के साथ आए हो? सही जवाब न देने पर मारपीट की।
भाई राम बहादुर का कहना है, पुलिस कह रही है कि दबिश दे रहे हैं। सभी आरोपी मौके से फरार चल हो गए हैं। मकान पर बाबा का बुलडोजर चलवाइए। सभी आरोपी भाग सरेंडर कर देंगे। लेकिन पुलिस ऐसी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।
अगर यही घटना की दलित समाज के व्यक्ति से हुई होती, तो यादव समाज अब तक उसका घर फूंक देता। एक व्यक्ति की सजा पूरे परिवार को देता। यहां तक उस व्यक्ति का घर तक गिरा दिया गया होता। लेकिन मेरे भाई के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है।
घटना की रिपोर्ट 9 सितंबर को परिवार को दी गई। जिसमें कंधे, जांघ, पीठ और सिर पर गहरे जख्म होने की पुष्टि हुई है। भाई शेर बहादुर ने बताया कि पुलिस ने थाने बुलाकर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दिखाकर एक-एक लाइन पढ़कर समझाया। पुलिस का कहना है कि इसमें एक व्यक्ति के द्वारा ही मारपीट करने की रिपोर्ट आई है। दिग्विजय ने विनय को डंडे से पीटा था। विनय के सिर पर चोट लगने की वजह से उसकी मौत हो गई।
मामले में पुलिस ने एक नामजद आरोपी दिग्विजय यादव को गिरफ्तार किया। आरोपी ने विनय को मारने की बात कबूल की है। वहीं भाई का कहना है कि पोस्टमॉर्टम की जल्दबाजी में पिता ने सिर्फ दिग्विजय का नाम ही पुलिस को दिया था। जांच के दौरान पुलिस ने घटना में शामिल अन्य लोगों का नाम मांगा था, जिसे दिया गया है।