नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर एक तरफ पार्टी के भीतर कुछ नेता सवाल उठा रहे हैं तो दूसरी तरफ अगले अध्यक्ष के चेहरे को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. गांधी परिवार के बाहर के नेताओं में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, लेकिन एबीपी न्यूज को पार्टी के विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि अध्यक्ष पद के लिए सोनिया गांधी की पसंद देश के पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे हैं तो वहीं राहुल गांधी चाहते हैं कि राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी की कमान संभालें.

शिंदे और खड़गे दोनों बेहद अनुभवी नेता हैं और इन्हें गांधी परिवार का भरोसेमंद माना जाता है. इसके साथ ही दोनों ही नेता दलित समुदाय से आते हैं. इन्हें कांग्रेस की कमान सौंपकर गांधी परिवार उस वर्ग को एक बड़ा सियासी संदेश दे सकता है, जो कभी कांग्रेस का पक्का वोटर हुआ करता था.

सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं तो खड़गे कर्नाटक से आते हैं, जहां अगले साल की शुरुवात में ही चुनाव हैं. हालांकि दोनों नेताओं की उम्र 80 पार कर चुकी है और एक बड़ा सवाल ये जरूर उठेगा कि क्या इतने बुजुर्ग नेता लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में नया जोश भर पाएंगे?

सूत्रों का कहना है कि अगर राहुल गांधी तैयार नहीं हुए और अधिक उम्र के चलते शिंदे, खड़गे फिट नहीं बैठे तो उस परिस्थिति के लिए गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की सबसे प्रबल संभावना है. पिछले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अगले अध्यक्ष को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं से सलाह ली थी. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष पद पर लौटने की पैरवी की. साथ ही उन्होंने आलाकमान को यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर उन्हें कमान सौंपी जाती है तो उनकी जगह सीपी जोशी को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए.

आपको बता दें कि सीपी जोशी फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष हैं. जोशी का नाम आगे कर गहलोत ने सचिन पायलट को सबक सिखाने की कोशिश तो की है, लेकिन कांग्रेस आलाकमान को धर्मसंकट में डाल दिया है. जिन्होंने बीते सालों में पायलट को धीरज रखने की सलाह दी थी. बहरहाल खड़गे, शिंदे या गहलोत में से कौन अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरता है इसके लिए इंतजार करना होगा. नामांकन की प्रक्रिया 24 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगी.

गौरतलब है कि पार्टी नेताओं का एक बड़ा वर्ग राहुल गांधी को मनाने में लगा हुआ है, लेकिन उम्मीद कम है कि राहुल अपना मन बदलेंगे. दूसरी तरफ कांग्रेस में बागी नेताओं के संकेतों से साफ है कि गांधी परिवार के बाहर के किसी उम्मीदवार के खिलाफ उनकी तरफ से भी उम्मीदवार उतारा जाएगा.

मनीष तिवारी, शशि थरूर समेत कांग्रेस के चार सांसदों ने अध्यक्ष पद के निर्वाचक मंडल यानी मतदाता सूची सार्वजनिक करने की मांग की है. इन नेताओं की शिकायत है कि पारदर्शिता के बिना निष्पक्ष चुनाव मुमकिन नहीं है. अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद पहले ही चुनाव की प्रकिया को फर्जी करार दे चुके हैं. बहरहाल इस बागी गुट को लेकर चर्चा जितनी भी है संगठन की जमीन पर इनका वजूद ना के बराबर है.

ऐसे में अगले अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया बिना किसी बड़े बवाल के सम्पन्न कराना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. नजरें गांधी परिवार पर है कि वो किस चेहरे को आगे करते हैं या फिर हालात संभालने के लिए खुद मैदान में उतरते हैं? जो नाम अब तक उभर कर सामने आए हैं उससे यही लगता है कि पार्टी पर गांधी परिवार का ही नियंत्रण बना रहेगा.