बुधवार यानी दुखहर्ता विघ्नहर्ता गणपति बप्पा का दिन। इस दिन लोग गणेश जी की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं। मान्यता है कि अगर हर शुभ कार्य से पहले गणेश जी का नाम लिया जाए तो उस काम में विघ्न नहीं आते हैं। गणेश जी का वाहन मूषक है और उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि। ये तो हम सभी जानते हैं कि गणेश जी की दो पत्नियां हैं। लेकिन काफी कम लोग यह जानते होंगे कि उन्होंने दो विवाह क्यों किए थे। आइए पढ़ते हैं आखिर क्यों हुई थी गणेश जी की दो शादियां।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, अपने शरीर को लेकर गणेश जी बेहद परेशान रहते थे। लेकिन गणेश जी को देख तुलसी जी बेहद मोहित हो गईं। उन्होंने गणेश जी से विवाह करना चाहा और उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन गणेश जी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वो ब्रह्मचारी हैं। इस बात पर तुलसी जी नाराज हो गईं और गणेश जी को दो विवाह होने का शाप दे दिया। तुलसी जी ने कहा कि उनके एक नहीं बल्कि दो-दो विवाह होंगे।
रिद्धि और सिद्धि से हुई थी गणेशजी की शादी
एक पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी की बनावट के चलते कोई भी शादी करने को तैयार नहीं था। इससे उन्हें बेहद क्रोध आया और वो दूसरे देवताओं की शादी में खलल डालने लगे। इससे देवता परेशान होने लगे। फिर सभी देवगण ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे अपनी परेशानी कही। तब ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि और सिद्धि से कहा कि वो गणेश जी के पास जाएं। रिद्धि और सिद्धि ने ब्रह्माजी की बात मानकर गणेश जी के पास गईं और उन्हें शिक्षित करने लगीं।
जब-जब गणेश जी के पास किसी की शादी की खबर आती तब वो दोनों उनका ध्यान भटका देतीं। इस तरह सकुशल देवताओं के विवाह संपन्न होने लगे। लेकिन गणेश जी का क्रोध यह देख और बढ़ने लगा। फिर एक दिन गणेश जी के सामने ब्रह्मा जी ने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव गणेश जी ने स्वीकार कर लिया और फिर भगवान गणेश के साथ रिद्धि और सिद्धि का विवाह संपन्न हुआ।
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