लखीमपुर। मैं और मेरे पापा किसान आंदोलन में गए थे। अचानक तेज आवाज आई और पीछे मुड़कर देखा तो तीन गाड़ियां आ रही थीं। जब तक मैं कुछ समझ पाता तब तक मेरे पापा गाड़ी की चपेट में आ गए और कुछ दूरी पर जाकर गिरे। वह तड़पते रहे और मैं चाहकर भी उनकी मदद कर जान नहीं बचा पाया। पिता की मौत का जो मंजर मेरी आंखों में कैद है उसे शब्दों में बयां कर पाना बड़ा मुश्किल है। यह दर्द रोते हुए मृतक किसान दलजीत सिंह के बेटे राजदीप ने बयां किया।

जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित मृतक किसान दलजीत सिंह के गांव बंजारनटोला में सन्नाटा पसरा हुआ है। परिवार सदमे में है। गांव से घर को आने वाली सड़कों पर पुलिस का पहरा रहा। घर के बाहर ग्रामीण व परिवार के लोग बैठे रहे। मृतक किसान के पिता चरनजीत सिंह को गांव के कुछ लोग सांत्वना देते नजर आए। घर के अंदर मां व अन्य रिश्तेदार रोते-बिलखते रहे। मृतक किसान अपने पीछे पत्नी व तीन बच्चों को छोड़ गया है।

मृतक किसान का बेटा राजदीप सिंह रह-रहकर बेहोश हो रहा था, क्योंकि वह अपने पापा के साथ लखीमपुर में हो रहे किसान आंदोलन में शामिल होने गया था। खुद को संभालते हुए मृतक किसान के बेटे ने बताया कि सब कुछ इतना अचानक हुआ कि कुछ समझ ही नहीं पाया। अचानक शोर शराबा हुआ और भगदड़ मची। पीछे मुड़कर देखा तो तीन गाड़ियां तेजी से आ रही थीं। पलक झपकते ही पापा गाड़ियों की चपेट में आ गए और उनकी मौत हो गई। मैं सामने खड़ा था, लेकिन सब कुछ खो जाने से अचेत सा हो गया। आंखों के सामने पिता का साया सिर से उठने के बाद मैं कुछ समझ ही नहीं पाया।

मृतक किसान दलजीत की मौत की खबर पर सुनने के बाद मां बेहोश हो गई। होश आने पर वह सिर्फ एक ही बात कहती रही कि मेरे लाल को जिंदा लौटा दो। परिजन व गांव की महिलाएं मृतक की मां को सांत्वना देती नजर आईं। मां बार-बार बेहोश हो रही थीं।

मृतक किसान दलजीत सिंह की मौत के गांव से लेकर घर तक सुरक्षा के मद्देनजर पुलिसकर्मी मुस्तैद रहे।  मृतक किसान के घर से चारों ओर एक किमी दूर तक फोर्स तैनात रही। एएसपी ग्रामीण अशोक कुमार निरीक्षण कर जायजा लेते रहे। आने-जाने वालों पर पुलिस की पैनी नजर बनी रही।

में हुई हिंसा में बहराइच के दो किसानों की मौत हुई है। मौत के बाद घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। डीएम व एसपी ने रविवार देर रात ही पहुंचकर रिश्तेदारों से मुलाकात कर उन्हें ढांड़स बंधाया और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

में हुई हिंसा में मटेरा थाना क्षेत्र के मोहरनिया निवासी गुरुविंदर सिंह की भी मौत हुई है। इनकी उम्र महज 18 साल थी। मृतक किसान के एक भाई और एक बहन हैं। दोनों की शादी हो गई है। रिश्तेदारों की मानें तो वह पूजा-पाठ में विशेष रुचि रखते थे। मृतक किसान के चचेरे भाई पूरन सिंह ने बताया कि वह रविवार को घर से लखीमपुर में रिश्तेदार के यहां जाने की बात कहकर घर से निकले थे।

शायद वह रास्ते में किसान आंदोलन में फंस गए और भगदड़ व हिंसा की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। शाम को सूचना मिली कि उनकी मौत हो गई है। मौत की सूचना पर पूरे गांव में मातम सा पसरा रहा। देर रात डीएम डॉ. दिनेश चंद्र व एसपी सुजाता सिंह ने दौरा किया और परिजनों व रिश्तेदारों को ढांड़स बंधाते हुए आश्वासन दिया। सोमवार को दिनभर पुलिस मुस्तैद रही और गश्त करती रही।