अनाज के रूप में हम मुख्य रूप से गेहूं और चावल पर निर्भर हो गए हैं। लेकिन भारत में पहले ऐसा नहीं था। इंडियन डाइट में मौसम के हिसाब से मोटे अनाज को शामिल किया जाता था। जिससे पेट, पाचन और स्वास्थ्य ठीक रहते थे। हॉलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट जूही कपूर ने 4 मोटे अनाज के नाम बताए हैं। जिनकी तासीर ठंडी से लेकर सामान्य होती है। इन अनाजों को अंग्रेजी में मिलेट भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि समर डाइट में कौन से मोटे अनाज खाने चाहिए। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट ने इन्हें खाने का तरीका भी बताया है।
जौ (Barley) खाने से फाइबर, प्रोटीन, थियामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन बी6, फोलेट, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, कॉपर आदि मिलता है। न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, इसे पहले 4 घंटे तक भिगोना चाहिए। उसके बाद आप इस अनाज को पुलाव, सलाद में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके आटे से रोटी भी बनाई जा सकती है।
रागी (Finger Millet) के आटे का इस्तेमाल रोटी बनाने के लिए किया जाता है। आप इससे डोसा भी बना सकते हैं। इसे पकाने से पहले 8 घंटे तक पानी में भिगोना चाहिए। इसके अंदर प्रोटीन, कार्ब्स, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम और पोटैशियम आदि होता है।
सांवा (Barnyard Millet) को बार्नयार्ड मिलेट भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले भी 8 घंटे तक भिगोना चाहिए। आप इसे डोसा, पुलाव या खिचड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे खाने से प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन मिलता है।
ज्वार (Jowar Millet) के आटे की रोटी काफी पौष्टिक होती हैं। इससे खिचड़ी भी बनाई जा सकती है। लेकिन पहले 10 घंटे तक पानी में भिगोना चाहिए। इसे खाकर प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम जैसे तत्वों की अच्छी मात्रा पाई जा सकती है।