पटना. बिहार में 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया. आज इस कानून को प्रदेश में लागू हुए लगभग साढ़े छह साल बीत चुके हैं. इन 6 सालों में बिहार में जहरीली शराब की वजह से 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं लेकिन एनसीआरबी की तरफ से जारी आंकड़ों को देखें तो आपको पता चलेगा कि यहां 5 सालों मे सिर्फ 23 मौतें इसकी वजह से हुई हैं. इन आंकड़ों के देखकर हैरानी होना लाजमी है. क्योंकि केवल 4 से 5 दिन के भीतर छपरा और सिवान में जहरीली शराब से मरनेवालों का आंकड़ा लगभग 100 की संख्या को पार कर गया है.
ऐसे में आपको जानना चाहिए की देशभर में किन-किन राज्यों में शराबबंदी लागू है? और कहां-कहां यह व्यवस्था लागू रहने के बाद भी लोगों की मौत शराब की वजह से हो रही है? साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि शराबबंदी कानून के राज्यों मे सफल नहीं होने के पीछे की वजह क्या है?
बिहार तो शराबबंदी कानून को लागू करनेवाला एकदम नया राज्य है, लेकिन क्या आपको पता है कि पूरे देश में 1960 के दशक में मुंबई से अलग होकर गुजरात जब बना तो यह देश का पहला राज्य था जहां शराबबंदी कानून लागू हुआ. लेकिन गुजरात में भी पिछले 6 सालों में 54 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है.
गुजरात के अलावा मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप में शराबबंदी कानून पूरी तरह से लागू है. बावजूद इसके यहां भी शराब से होनेवाली मौतों का सिलसिला रूका नहीं है. मणिपुर में भी 1991 से शराबबंदी लागू है लेकिन लगातार हो रही मौतों को देखते हुए सरकार ने अब इस कानून में ढील दे दी है. इसके पीछे राज्य को मिलने वाला राजस्व भी एक कारण है.
हरियाणा और आंध्रप्रदेश में शराबबंदी को लागू तो किया गया लेकिन हो रहे राजस्व घाटे को देखते हुए सरकार को इस कानून को हटाना पड़ा. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर शराबबंदी का फैसला राज्यों में सफल क्यों नहीं होता, तो इसकी दो बड़ी वजहें हैं. पहला तो इन राज्यों में इस कानून के लागू होने के साथ ही शराब की तस्करी बढ़ जाती है और जहरीली शराब से मौत के आंकड़ों में इजाफा होता है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी वजह राज्यों को होनेवाला वित्तीय नुकसान है.