रविन्द्र कप्रवान। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में एक शिव मंदिर ऐसा है, जहां भगवान की शिवशक्ति के रूप में विशेष पूजा अर्चना होती है। मान्यता है कि दशज्यूला कांडई के महड़तल्ला गांव में मौजूद इस मंदिर में बनी छह इंच चौड़ी व एक फीट ऊंची मोरी से बाहर निकलकर भगवान शंकर अपने भक्तों को दर्शन दिए थे। महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष स्थानीय ग्रामीण मां चंडिका और स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक एवं रूद्राभिषेक करते हैं।
अगस्त्यमुनि ब्लाक के महड़तल्ला गांव में स्थापित शिव-शक्ति मंदिर 12वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। जिसके बाद 19वीं शताब्दी एवं वर्ष 2010 में मंदिर में जीर्णोद्धार भी हुआ था। यहां मां चंडिका, शिव मंदिर के दाएं भाग में स्थित है, जो किसी विशेष प्रयोजन की ओर इशारा करता है। शक्ति मंदिर सामान्यत: शिव मंदिर के बाएं भाग में स्थित होते हैं, लेकिन जब सदाशिव ब्रह्मांड के कल्याण के लिए या किसी विध्वंशक शक्ति के विनाश के लिए किसी अनुष्ठान का आयोजन करते हैं तब वह अपनी पराशक्ति को अपने दायें भाग में अवस्थित करके ही उस उद्देश्य की पूर्ति कर पाते हैं।
यहां पर भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर के विनाश के लिए अनुष्ठान किया था। यह मंदिर क्षेत्र के आगर जवाड़ी, कोखंडी, तलगड, क्यूडी मलांश, बैंजी कांडई, जग्गी काण्डई, महडमल्ला, महड़तल्ला, वनथापला, ईशाला, जरम्वाड, ढुंग, थपलगांव, बौरा मालकोटी, सेरा, तोली, द्यूका, कटमिणा, नालढुंग, कांडई खोला, चैमडा, सिमकोली, इज्जर, तमुंडी, पैडुला तथा विरसण समेत 28 गांव की आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर का वर्णन केदारखंड के स्कंद पुराण में मिलता है। क्षेत्र के शिव मंदिर की अपनी एक विशेष महत्व है। पंडित ललिता प्रसाद पुरोहित बताते हैं कि महड़तल्ला ऐसा गांव है जहां शिवशक्ति के दर्शन होते है। मंदिर में प्रचार- प्रसार के अभाव में दूर-दराज क्षेत्रों से सीमित संख्या में भक्तजन पहुंचते हैं।
त्रिपुरासुर से युद्ध करते-करते जब भगवान शंकर को कुछ थकान एवं कमजोरी महसूस हुई, तो वह यहां विश्राम करने लगे। उनकी स्थिति का आभास होने पर आगर गांव की इष्टदेवी नंदा ने गाय का रूप धारण कर आगर गांव के किसी ग्रामीण की गाय में शामिल हुई तथा यहां आकर उनके लिंग स्वरूप पर दूध चढ़ाने लगीं। गाय के मालिक को दूध में कमी के कारण शंका हुई तो उसने एक दिन छिपकर गाय का पीछा किया। सारी स्थिति देखकर उसने इस लिंग को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उसका प्रयास असफल रहा।
रुद्रप्रयाग-चोपड़ा-गढ़ीधार मोटरमार्ग पर वाहन से 33 किमी का सफर तय करने के बाद मंदिर में पहुंचा जा सकता है। सड़क से उतरने के बाद सौ मीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है। जहां भगवान शिवशक्ति के साक्षात दर्शन होते हैं।