लखीमपुर में धधकती रहेगी आंदोलन की चिंगारी
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष और लखीमपुर में कृषि आंदोलन में शामिल रहे अमनदीप सिंह कहते हैं कि जब प्रधानमंत्री ने यह मान लिया कि किसानों को समझाने में वह नाकाम रहे। दरअसल वह नाकाम नहीं रहे क्योंकि यह बिल पूरी तरीके से गलत है और किसान विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे थे। इसी बिल का विरोध कर रहे आंदोलन में लखीमपुर में हमारे किसानों की हत्या कर दी गई। अब जब यह बिल वापस हो रहा है तो लखीमपुर में किसानों की हत्या करने वालों को फांसी होनी चाहिए और अजय मिश्र का इस्तीफा हर हाल में होना चाहिए। वह कहते हैं कि अगर यही फैसला कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लेते तो शायद लखीमपुर में हमारे किसानों की हत्या न होती। इसलिए इस पूरी हत्या की जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे के ऊपर हत्या का आरोप है। ऐसे में अब जब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा नहीं होता है तब तक लखीमपुर में आंदोलन की चिंगारी धधकती रहेगी।
लखीमपुर के किसान आंदोलन में शामिल अवतार सिंह और निर्मल सिंह कहते हैं कि अब खीरी में आंदोलन और तेज होगा। वे कहते हैं कि आंदोलन सिर्फ इसलिए तेज होगा क्योंकि सरकार की लापरवाही के चलते हमारे किसानों की हत्या हुई। निर्मल सिंह के मुताबिक सरकार को इस कृषि कानून के मुद्दे पर बैकफुट पर तो आना ही था। ऐसे में उसी आंदोलन के लिए, जिसे सरकार ने आज मान लिया कि यह बिल जरूरी नहीं है, किसानों की हुई मौत और हत्याओं की पूरी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की है। वे कहते हैं सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। ऐसे में उनकी मांग है कि अजय मिश्र टेनी को अपने पद से हटा देना चाहिए।
हत्यारों को मिले फांसी की सजा
लखीमपुर में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले मृतक दलजीत के रिश्तेदार हरनाम सिंह कहते हैं कि उनके घर का सदस्य तो इस दुनिया से चला गया। अब अगर उसके बाद आप कृषि कानून बिल वापस लेते हैं तो क्या उनके घर का सहारा वापस आ सकेगा। हरनाम कहते हैं कि यह सरकार की संवेदनहीनता ही है कि लोगों की जान जाने के बाद आप कृषि बिल वापस ले रहे हैं। वह कहते हैं सरकार को इसका खामियाजा नासिर भुगतना पड़ेगा, बल्कि एक-एक मौत का जवाब देना होगा। हरनाम के मुताबिक लखीमपुर आंदोलन में तो सोची समझी रणनीति के तहत हत्या की गई है। वे कहते हैं कि सरकार को सभी हत्यारों को फांसी की सजा देनी चाहिए।
भारतीय किसान यूनियन के उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में तराई क्षेत्र के प्रदेश उपाध्यक्ष अमनदीप कहते हैं कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर जल्द ही किसान संगठनों की एक बड़ी बैठक निघासन इलाके में की जाएगी। यह वही इलाका है जहां पर किसानों की गाड़ी से कुचल कर हत्या कर दी गई थी। अमनदीप के मुताबिक यह मामला सिर्फ कृषि बिल के वापस होने से शांत नहीं होने वाला है। वह कहते हैं कि जल्द ही अगली बैठक के दौरान और संगठन के आला नेताओं से चर्चा करने के बाद आगे की योजनाएं तय की जाएंगी।