रूस के हमले से यूक्रेन में फंसीं शहर की दो बेटियां माधवी अरोरा व फाल्गुनी धीरज अलीगढ़ पहुंच गईं। दोनों यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। दोनों बेटियां जैसे ही दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचीं तो उन्हें देखकर स्वजनों की आंखों में खुशी के आंसू थे। दिल्ली एयरपोर्ट पर फाल्गुनी को देखकर उनकी मां काजल धीरज बोलीं, आ गया मेरा फौजी बेटा। साथ में पिता पंकज धीरज व बहन हिमाद्री भी थे। वहीं, माधवी के पिता पुनीत अरोरा ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया। उनके अथक प्रयास से ही यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थी वापसी कर पा रहे हैं। गौरतलब हो कि जिले के 45 छात्र-छात्राएं यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। अलग-अलग उड़ानों से ये सभी छात्र-छात्राएं आएंगी। बेटियों को प्राथमिकता के आधार पर हवाई जहाज में बिठाया जा रहा है।
फाल्गुनी धीरज यूक्रेन की इवानो फ्रेंकविस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। यूक्रेन में भयावह मंजर को बेहद करीब से देखकर लौटीं फाल्गुनी धीरज कहती हैं कि वतन वापसी के लिए करीब 48 घंटे का सफर तय करना पड़ा। इस दौरान हवाई हमलों का डर, सीमा पर 9 से 10 किलोमीटर लंबा जाम, सीमा पर हाड़ कंपकंपाने वाला माइनस सात डिग्री तापमान, ऑक्सीजन की कमी से नाक व मुंह से बहते खून के बीच रोमानिया तक सफर तय किया। इसके बाद रोमानिया के बुचारेस्ट एयरपोर्ट से दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचीं। उन्होंने कहा कि कठिन वक्त व तकलीफों के बाद वतन वापसी की खुशी सबसे बड़ी है।
दिल्ली से लौटने के बाद फाल्गुनी धीरज खेरेश्वर मंदिर पहुंची और यहां पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। साथ ही शेष सभी भारतीय बच्चों के सकुशल भारत वापसी की प्रार्थना की। साथ ही फाल्गुनी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को ऑपरेशन गंगा के लिए धन्यवाद कहती हूं, क्योंकि उनके प्रयास से ही वह अपने घर सही सलामत पहुंच सकीं।
यूूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं माधवी अरोरा ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही राहत की सांस की ली और ईश्वर को धन्यवाद किया। माधवी ने कहा कि भारत आने की खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। माधवी जैसे अपने घर अलीगढ़ स्थित ग्रीन अपार्टमेंट पहुंचीं, वैसे ही बेटी को देखकर उनकी मां की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। यूक्रेन में फंसीं माधवी के घर में कई दिनों से छाई मायूसी खुशी में बदल गई। मां-बेटी एक-दूसरे से लिपट गईं। माधवी ने कहा कि वह जहां रहती थीं, वह क्षेत्र यूरोपीय देशों की सीमा से जुड़ा है। इतना वहां तनाव नहीं है। एक-दो बार धमाके की आवाज जरूर आई थी। हालांकि, पूर्वी क्षेत्र जो रूस सीमा से जुड़ा है, वहां गोलाबारी अनवरत हो रही है। सीमा पर जबरदस्त तनाव है।
पिता पुनीत अरोरा ने कहा कि आज मेरी बेटी घर पर है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नमन करते हैं। उनके अथक प्रयास से ही यूक्रेन में फंसे भारतीय विद्यार्थी वापसी कर पा रहे हैं। यूक्रेन सीमा पर भारतीय विद्यार्थियों को खाने-पीने, ठहरने की सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि उन जैसे सभी अभिभावक असहाय नजर आ रहे थे, केवल मोदी सरकार की तरफ आशा की नजर से देख रहे थे। उनकी पहल सराहनीय है।