पहले भाजपा विधायक को नामजद करने से बच रही पुलिस अब उन्हें गिरफ्तार करने से भी बच रही है। मामले में विधायक का नाम आते ही पुलिस के पसीने छूट गए थे। आठ घंटे तक अधिवक्ता का शव घर पर ही रखा रहा और मवाना रोड जाम कर अधिवक्ताओं ने गंगा नगर थाने में हंगामा किया। कई बार माहौल खराब होने के हालात बन गए। उधर, अधिवक्ता जिद पर अड़े तो कानून व्यवस्था बिगड़ने लगी, तब जाकर ही विधायक को नामजद किया गया। ओमकार के बेटे लव सिंह व पुत्रवधू स्वाति के बीच विवाद है।

आरोप है कि भाजपा विधायक ने सात फरवरी को अपने घर पर दोनों परिवार के लोगों के बीच बैठक कराई थी। बैठक में ओमकार और उनके परिवार को धमकाया गया था। उसके बाद 11 फरवरी को विधायक ने अपने करीबी निडावली ग्राम प्रधान मुनेंद्र को ईशापुरम स्थित ओमकार के घर भेजा था। अधिवक्ता के सुसाइड नोट में भी इसका जिक्र है। पुलिस का कहना है कि अधिवक्ता के घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है, उनकी फुटेज ली जाएगी। इससे स्पष्ट होगा कि अधिवक्ता के घर पर कौन आया था। रविवार को अधिवक्ता के अंतिम संस्कार होने के चलते सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नहीं मिली। पुलिस ने अधिवक्ता के घर के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी लेने का प्रयास किया है।

पुलिस के अनुसार भाजपा विधायक की गिरफ्तारी से पहले विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को विधायक पर मुकदमा होने की जानकारी दे दी गई है। भाजपा विधायक की गिरफ्तारी न होने से पीड़ित परिवार में गुस्सा है। मामले के तूल पकड़ने पर कानून-व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।

अधिवक्ताओं और विपक्षी दलों के साथ ही भाजपा के कुछ नेताओं के भी विधायक के खुले तौर पर विरोध में आने के कारण खुफिया विभाग का इनपुट भी कुछ ऐसा ही है। बावजूद इसके पुलिस द्वारा विधायक को बचाने के तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस विधायक के बचाव में आ गई है। पुलिस ने विधायक और अन्य किसी आरोपी से पूछताछ भी नहीं की है।