मेरठ. मेरठ के विक्टोरिया पार्क अग्निकांड के पीडि़तों की मुआवजा राशि के निर्धारण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नियुक्त किए गए न्यायाधीश हर्ष अग्रवाल ने इस मामले की सुनवाई अपनी कोर्ट के नियमित कार्य के साथ-साथ रोजाना करने का निर्णय लिया है। उन्होंने डीएम और एसएसपी को नोटिस भेजकर इस मामले में अब तक की समस्त कार्रवाई, साक्ष्य और दस्तावेज दो दिन में उपलब्ध कराने को कहा है।
सौंपी गई है यह जिम्मेदारी
मेरठ विक्टोरिया पार्क अग्निकांड आहत कल्याण समिति द्वारा उचित मुआवजा राशि की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। कोर्ट ने मुआवजा निर्धारण के लिए एक न्यायिक अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट को दिया था। हाईकोर्ट ने मेरठ में तैनात अपर जिला जज-15 हर्ष अग्रवाल को यह जिम्मेदारी सौंपी है। एडीजे हर्ष अग्रवाल ने बताया कि चार महीने में कार्रवाई पूरी करने के लिए त्वरित सुनवाई करनी होगी। मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को नोटिस भेजकर न्यायालय बुलाया जाएगा। पीडि़तों और मृतकों के आश्रितों से सभी दस्तावेज और साक्ष्य मांगे जाएंगे। सभी पक्षों के बयान दर्ज होंगे और बहस होगी। सभी पक्षों को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा।
न्यायाधीश हर्ष अग्रवाल ने बताया कि मुआवजे की गणना मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों के तहत की जाएगी। जिसके मुताबिक मृतक अथवा पीडि़त व्यक्ति की आयु और उसकी आय के आधार पर तय किया जाएगा कि वह जीवन में कितनी आय करता। उसके परिवार में आश्रितों की संख्या तथा उसकी मृत्यु से परिवार को हुई आर्थिक क्षति का आकलन करके मुआवजा राशि तय की जाएगी। ऐसे ही घायलों के मुआवजे की गणना की जाएगी।
65 मौत और 161 झुलसे थे
विक्टोरिया पार्क में आयोजित कंज्यूमर मेले में समापन से ठीक पहले दस अप्रैल 2006 की शाम को भीषण आग लग गई थी। जिसमें 65 लोगों की मौत और 161 लोग गंभीर और सामान्य रूप से झुलस गए थे। प्रत्येक मृतक के आश्रितों को अभी तक आठ लाख रुपये मुआवजा मिल चुका है।
मुआवजा सरकार दे, आयोजकों से वसूले
मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक मुआवजा राशि का 40 प्रतिशत सरकार और 60 प्रतिशत आयोजक को देना है। पीडि़तों की मांग है कि पूरी मुआवजा राशि सरकार दे। सरकार ही आयोजक से उसके हिस्से की राशि वसूल करे।