नई दिल्ली. भारत की पुरानी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में इंसान के ज्यादातर रोगों का कारण और उसका इलाज भी खान-पान को माना गया है. जिसे आज कई तरह के वैज्ञानिक अध्ययनों के बाद सही पाया गया है. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी भी इस सिद्धांत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका दावा है कि उन्होंने जो D.I.P Diet बनाया है उससे शुगर, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी, किडनी के रोग सहित कई खतरनाक बीमारियों को जड़ से दूर किया जा सकता है. जबकि आज के मेडिकल साइंस में इन रोगों को करीब-करीब लाइलाज मान लिया गया है. इनके मरीजों को जीवन भर के लिए दवाओं और डॉक्टरों के भरोसे रहने का अभिशाप झेलना होता है.

डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का मानना है कि 1947 तक देश अंग्रेजों का गुलाम था, आज देश अंग्रेजी दवा का गुलाम है. भारत के लोगों को अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने और वैज्ञानिक सोच के साथ रोगों का इलाज खोजने की जरूरत है. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का मानना है कि हर इंसान को खुद अपना इलाज करने में सक्षम होना चाहिए. हर व्यक्ति अपना डॉक्टर खुद बन सकता है. इसके लिए उनके कुछ विशेष उपाय और सुझाव हैं. जिनको सीखकर कोई भी व्यक्ति अपना इलाज खुद कर सकता है और अपने आसपास के लोगों का इलाज भी कर सकता है.

मेडिकल साइंस में इंजीनियरिंग का इस्तेमाल
डॉ. विश्वरूप राय चौधरी ने पंजाब विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. इसके बाद उन्होंने डायबिटीज पर खुद काफी स्वध्याय किया और एक किताब भी लिखी. इसके बाद इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया. उनको पीएचडी की डिग्री भी मिली हुई है. अपनी इस शैक्षिक पृष्ठभूमि के कारण डॉ. विश्वरूप राय चौधरी अपने मरीजों का इलाज करने में इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का उपयोग करते हैं. उनका कहना है कि धरती का गुरुत्व बल इंसान के शरीर पर, खासकर उसके खून के प्रवाह पर बहुत असर डालता है. इस गुरुत्व बल के सटीक उपयोग से कई बीमारियों को ठीक करने के अचूक नुस्खे खोज निकालने का भी दावा डॉ. विश्वरूप राय चौधरी करते हैं.

कई रोगों में कारगर साबित हुई D.I.P डाइट
डॉ. विश्वरूप राय चौधरी इंसान के खानपान को इस तरह से तैयार करने पर जोर देते हैं कि खाना ही दवाई का काम करने लगे. उन्होंने एक विशेष डाइट तैयार की है, जिससे ज्यादातर रोगों में दवाओं की जरूरत खत्म हो जाती है. इंसान का भोजन ही उसके लिए दवा का काम करने लगता है. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का मानना है कि कोई भी इंसान किसी पर निर्भर हुए बगैर अपने रोगों का इलाज कर सकता है. इसके लिए उन्होंने एक अभियान चला रखा है. उनकी डाइट का क्लीनिकल ट्रायल सरिता विहार के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में किया गया. सरकार ने ये पाया कि उनकी डाइट से किडनी, डायबिटीज, बीपी, हाइपरटेंशन जैसे रोगों में बहुत लाभदायक परिणाम मिले हैं. ये डाइट डायबिटीज में 3 दिन में, हाइपरटेंशन में 7 दिन में और अगर हार्ट में एंजाइना की समस्या है तो एक महीने में असर दिखाना शुरू कर देती है. मोटे लोगों को अगर यह डाइट एक महीने तक खिलाई जाए तो उनका वजन 10 फीसद घट जाता है. उसके अगले महीने में पांच फीसद और उसके अगले महीने में पांच फीसद वजन घटता है.

किडनी के मरीजों के लिए कारगर साबित हुआ GRAD
डॉ. विश्वरूप राय चौधरी ने ग्रेविटेशनल रेजिस्टेंस एंड डाइट सिस्टम विकसित किया है. इसे किडनी के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए बहुत उपयोगी पाया गया है. GRAD का परीक्षण जिन लोगों पर किया गया, उसमें से 75% लोगों की डायलिसिस कम या बंद हो गई और 89 फीसद लोगों की दवाएं कम या बंद हुईं. इसके साथ ही किडनी के मरीजों के लक्षणों में भी सुधार हुआ. किडनी के मरीजों में सूजन, उल्टी, कमजोरी, सांसों की तकलीफ जैसे सभी लक्षणों में सुधार हुआ. उन्होंने हिम्स (हॉस्पिटल एंड इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिकल के नाम से चंडीगढ़, जोधपुर और जयपुर में अस्पताल भी खोले हैं. ये अस्पताल जल्द ही लखनऊ और गुड़गांव में भी खुलने वाले हैं.

किडनी के मरीजों को मिल सकता है डायलिसिस से छुटकारा
डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का दावा है कि उनका इलाज ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है जो लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं और डायलिसिस के कष्टदायक इलाज की प्रक्रिया को झेलने के लिए मजबूर हैं. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का कहना है कि ‘क्रॉनिक किडनी डिजीज’ यानी ‘सीकेडी’ को ठीक करने में उनकी GRAD इलाज पद्धति बहुत प्रभावशाली रही है. GRAD प्रक्रिया में किडनी के मरीजों को 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म पानी के टब में रोजाना दो घंटे बिठाकर रखा जाता है. इसे हॉट वाटर इमर्शन कहते हैं. उसके बाद उनको 2 घंटे एक खास कोण पर सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर करके लेटना होता है. जिसे हेड डाउन टिल्ट कहा जाता है. इसके साथ ही अनुशासन से तय की गई डाइट को ही खाना होता है. जिसमें मरीज को कई प्रकार के फल, कच्ची सब्जियां और फाइबर युक्त घर में बना शाकाहारी भोजन लेना होता है. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी का मानना है कि अगर उनके इलाज को सही तरह से अपनाया जाए तो डायलिसिस कम या पूरी तरह से खत्म हो सकता है. इसके साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट का युग भी खत्म हो सकता है.

कुछ अलग करने के जुनून ने दिलाई पहचान
डॉ. विश्वरूप राय चौधरी को बचपन से ही कुछ अलग काम करने का जुनून था. इसलिए उन्होंने पहले इंजीनियरिंग की डिग्री ली और उसके बाद उन्होंने डायबिटीज यानी मधुमेह पर खुद ही अध्ययन करना शुरू किया. इस पर एक किताब भी उन्होंने लिखी. इस किताब के आधार पर इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने उनको डायबिटीज के पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन दे दिया. बिना किसी मेडिकल डिग्री के इंजीनियरिंग से ग्रेजुएट डॉ. विश्वरूप राय चौधरी ने डायबिटीज में पोस्ट ग्रेजुएशन और फिर पीएचडी की.

लोग खुद बन सकते हैं अपने डॉक्टर
विश्वरूप राय चौधरी का मानना है कि लोग अपने घर पर ही अपना इलाज खुद करने में सक्षम हो सकते हैं. डॉ. विश्वरूप राय चौधरी आज की मेडिकल साइंस पर भी कई सवाल उठाते हैं. उनका कहना है, ‘कोई भी गंभीर रोग जैसे-हार्ट, किडनी, बीपी, शुगर आदि पूरी तरह ठीक नहीं हो रहे हैं. मरीजों को लगातार दवाई खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है. जबकि इनका इलाज बहुत साधारण और सरल है. आज का मेडिकल साइंस इलाज को जटिल बना रहा है.’ उन्होंने कई सबूतों और अध्ययनों के साथ अपने इलाज को सही साबित किया है.

विवादों पर खुलकर सामने आए
डॉ. विश्वरूप रॉय चौधरी ने गलत जीवनशैली से पैदा हो रही मधुमेह जैसी कई बीमारियों को दूर करने के लिए 25 से अधिक किताबें भी लिखी हैं. वे स्विट्जरलैंड, मलेशिया, वियतनाम और भारत में अपने इलाज के कई केंद्र चलाते हैं. उनके वीडियो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं लेकिन इसके कारण आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ने डॉ. विश्वरूप राय चौधरी के दावों पर सवाल भी उठाए हैं. आईएमए का कहना है कि डॉ. विश्वरूप राय चौधरी के दावों का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है. बहरहाल डॉ. विश्वरूप राय चौधरी अपने दावों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं. उनका साफ कहना है कि देश 1947 से पहले अंग्रेजों का गुलाम था और अब अंग्रेजी दवाओं का गुलाम बन गया है. अंग्रेजी दवाओं से देश को आजाद कराए जाने की जरूरत है.