जीवन में हर कोई अपने आपको भावनात्मक रूप से मजबूत करना चाहता है. हर कोई चाहता है कि वो अपनी भावनाओं पर कंट्रोल रखे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भावनात्मक रूप से मजबूत होने के लिए आपका दिमागी तौर पर मजबूत होना भी बेहद जरूरी है. ये बात सच है कि इमोशनल हेल्थ (भावनात्मक स्वास्थ्य) और मेंटल हेल्थ दो अलग- अलग चीजें हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये दोनों ही चीजें आपस में जुड़ी हुई हैं. बिना स्ट्रॉन्ग मेंटल हेल्थ के आपकी इमोशनल हेल्थ बेकाबू हो सकती है. आज हम आपको कुछ ऐसी आदतें बता रहे हैं, जो मेंटल और इमोशनल रूप से स्ट्रॉन्ग लोग कभी नहीं करते.
हर वक्त खुद को सही साबित करने में नहीं लगे रहते: जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग होते हैं, वो हर वक्त खुद को सही साबित करने के पीछे नहीं भागते. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग नहीं होते वो गलती करने पर भी अपने आप को सही साबित करने में लगे रहते हैं. वहीं, जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग होते हैं, वो गलती करने पर सामने से अपनी गलती मानते हैं और उसे ठीक करने की कोशिश करते हैं.
नहीं करते ओवर रिएक्ट: आप एक इंसान हैं, ऐसे में कई बार मुमकिन है कि आप किसी स्थिति में ओवर रिएक्ट कर दें. कभी- कभी ओवर रिएक्शन इस बात की निशानी नहीं है कि आप इमोशनली स्ट्रॉन्ग व्यक्ति नहीं हैं. हालांकि, अगर आप बात-बात पर ओवर रिएक्ट कर रहे हैं तो मुमिकन है भावनात्मक रूप से मजबूत नहीं हैं. बात-बात पर ओवर रिएक्शन पर आपको काम करने की जरूरत है.
किसी के लिए मन में शिकायत नहीं रखते: जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग होते हैं, वो किसी के खिलाफ मन में कोई शिकायत नहीं रखते. अगर उनका किसी से मतभेद भी होता है तो वो उसको वहीं खत्म करके आगे बढ़ते हैं. मन में शिकायत रखना किसी भी व्यक्ति को निगेटिविटी की ओर ले जाता है और इमोशनली स्ट्रॉन्ग लोग निगेटिविटी से दूर रहते हैं.
समस्याओं से भागते नहीं हैं: एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग होते हैं, वो कभी भी अपनी समस्याओं से भागते नहीं हैं. वो इस चीज को मानते हैं कि उनके साथ कोई समस्या है और वो उस समस्या पर काम करते हैं. वहीं, जो लोग इमोशनली स्ट्रॉन्ग नहीं होते हैं वो इस बात को ही नहीं मानते कि उनके साथ कोई समस्या या परेशानी है.
खुद को हर चीज के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते: इमोशनली स्ट्रॉन्ग लोगों हर वक्त खुद को दोषी नहीं मानते. वो खुद से प्यार करना जानते हैं. खुद के साथ वो बुरा व्यवहार नहीं करते. छोटी-छोटी चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार ठहरा के वो खुद को परेशान नहीं करते.