केंद्र में मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो गए हैं. मोदी सरकार 2.0 की 9वीं सालगिरह 26 मई को है. दरअसल, देश में बीजेपी साल-2014 के मुकाबले और बड़ी जीत के साथ सत्ता में इसी तारीख को लौटी थी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दोबारा मिली जीत में उनके नेतृत्व में चलाई गईं जन-कल्याणकारी योजनाओं का अहम योगदान रहा था. आइए मोदी कार्यकाल में शुरू हुईं कौन सी योजनाएं हिट साबित हुए, और कौन फ्लॉप हो गईं.

Jan Dhan Yojana : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद एक बड़ा फैसला किया, जिसके तहत देश के हर परिवार को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने की कवायद शुरू की गई. इसके लिए 15 अगस्त 2014 को जनधन योजना की शुरुआत की गई थी. अब तक देखा जाए तो सरकार इस योजना को जमीनी स्तर पर जिस तरह से लागू किया गया था, ये पूरी तरह सफल साबित हुई. इसके बेनिफिसियर्स की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बीते साल 2022 में जहां इसके तहत 45 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए थे, तो अब तक ये आंकड़ा बढ़कर 48.99 करोड़ पहुंच गया है.

Ujjwala Yojana : हिट योजनाओं की लिस्ट में अगला नाम आता है उज्ज्वला योजना का, इसे केंद्र सरकार अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि गिनती है. गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को चूल्हे के धुंए से निजात दिलाने के उद्देश्य से केंद्र ने इस योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को की थी. इसके तहत जरूरतमंद परिवारों के लिए घरेलू रसोई गैस यानी LPG कनेक्शन मुफ्त में मुहैया कराती है. सरकार का दावा है कि बीते साल अप्रैल-2022 तक इस योजना में 9 करोड़ अधिक एलपीजी कनेक्शन बांटे गए थे और ये आंकड़ा अब और भी बढ़ गया है. PMUY Yojana के अंतर्गत केंद्र सरकार सभी BPL तथा APL राशन कार्ड धारक परिवार की महिलाओ को 1600 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है.

PM Garib Kalyan Yojana : देश में कोरोना काल के दौरान शुरू की गई इस योजना ने अपना काम बिल्कुल उसी तरह किया, जैसा सोचकर केंद्र ने इसे शुरू किया था. 26 मार्च 2020 को शुरू हुई इस योजना का मकसद देश के हर नागरिक का पेट भरना था. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के जरिए देश के करीब 80 करोड़ लोगों को राशन मिल रहा है. इसमें प्रत्येक नागरिक को 5 किलो से अधिक अनाज दिया जाता है. राशन कार्ड धारकों को इसका लाभ मिल रहा है. शुरुआत से अब तक इसे 7 बार आगे बढ़ाया जा चुका है. 1 फरवरी 2023 से इसे एक साल के लिए और भी आगे बढ़ा दिया गया है. इस योजना के तहत अब तक सरकार करीब 5.91 लाख करोड़ रुपये का खर्च हो चुकी है.

PM Kisan Samman Nidhi Yojana : साल 2014 में केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद पहले कार्यकाल के आखिरी साल में मोदी सरकार ने किसानों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से इस योजना को पेश किया. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 24 फरवरी 2019 को इसकी शुरुआत की गई थी. मोदी कार्यकाल में ये योजना बेहद सफल साबित हुई और इसकी हर तरफ तारीफ होती है. पीएम किसान योजना के तहत हर साल सरकार किसानों के बैंक खातों में 6,000 रुपये की राशि जमा करती है. यह रकम 2,000-2,000 रुपये की तीन किस्तों में ट्रांसफर की जाती है. अब तक केंद्र सरकार की ओर से 12 किस्तें रिलीज की जा चुकी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अब तक के कार्यकाल में ऊपर बताई गई योजनाओं के अलावा भी कई ऐसी योजनाएं हैं, जो सफल रही हैं. इनमें आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojana) का नाम शामिल है. इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आने वाले परिवारों को 5 लाख रुपये तक का नकदी रहित (कैशलेस) स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) योजना के जरिए देशभर में ‘एक स्वच्छ भारत’ राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत की गई थी. देश के गांव-गांव में इसकी तारीफ होती है.

लिस्ट में अगला नाम जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) का आता है. इसके तहत मोदी सरकार ने 2024 तक घर-घर स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने का उद्देश्य तय किया है. बता दें हर घर नल योजना को जल जीवन मिशन के नाम से भी जाना जाता है. इस योजना का लक्ष्य 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की दर से पीने योग्य जल उपलब्ध करवाना है.

Skill India : प्रधानमंत्री कौशल भारत योजना की शुरुआत 15 जुलाई 2015 को हुई थी. इस मुहिम के तहत 2022 तक भारत के करीब 40 करोड़ लोगों को अलग-अलग कौशल में प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जो नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर विजन से जुड़ा हुआ था. ड्रीम प्रोजेक्ट होने के बाद भी ये उम्मीद के मुताबिक, सफल नहीं हो पाई. विपक्ष ने भी इस योजना को फ्लॉप करार दिया था.

Demonetisation- Black Money : नोटबंदी को लेकर भी नरेंद्र मोदी सरकार बैकफुट पर रही है. सरकार को उम्मीद थी कि इससे बड़े पैमाने पर कालेधन का खुलासा होगा. पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था और उसी रात से देश में 1000 और 500 रुपये के नोट को अवैध करार कर दिए गए थे. लेकिन, अभी भी विपक्ष इस फैसले को लेकर काले-धन की वापसी के मुद्दे पर केंद्र पर निशाना साधती नजर आती है. केंद्र में आते ही मोदी सरकार ने विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए जोर-शोर से अभियान शुरू किया, लेकिन इस मुद्दे पर अभी भी सरकार को कोई बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लग सकी है.

2014 में देशभर में 100 शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए ‘स्मार्ट सिटी’ योजना की शुरुआत की गई थी. इसके लिए नागरिकों के अनुकूल शहरी क्षेत्र विकसित करने के लिए 6,85,758 करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश सहित कई अन्य पहल की गई. लेकिन सरकार का यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है, जो अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है. इसके अलावा मोदी सरकार ने की गंगा की सफाई को लेकर शुरू की गई नमामि गंगे योजना भी फ्लॉप की लिस्ट में शामिल है. शुरुआती पांच साल में सरकार ने इस योजना पर 20 हजार करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था. रकम तो खर्च हुई, लेकिन गंगा पूरी तरह अब तक साफ नहीं हो सकी है.