दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शताब्दी समारोह के समापन अवसर पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यूनिवर्सिटी और देश के संकल्पों में एकरूपता होनी चाहिए. पहले आजादी लक्ष्य था, अब है विकसित भारत का निर्माण. इस सदी का तीसरा दशक भारत की विकास यात्रा को नई रफ्तार देगा.
देश की विकास यात्राः पीएम मोदी ने कहा, ”20वीं सदी के तीसरे दशक ने आजादी के आंदोलन को नई गति दी, और इस 21वीं सदी का तीसरा दशक देश की विकास यात्रा को नई गति देगा. पिछले कुछ वर्षों में आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और एम्स जैसे संस्थानों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. ये संस्थान नए भारत की आधारशिला बन रहे हैं.”
भारतीय विश्वविद्यालयों के संबंध मेंः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीयू (DU) में संबोधित करते हुए कहा, “…आज भारतीय विश्वविद्यालयों की वैश्विक मान्यता बढ़ रही है. 2014 में क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में केवल 12 भारतीय विश्वविद्यालय थे, अब यह संख्या बढ़कर 45 हो गई है. शैक्षणिक संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं. 2014 से पहले भारत में लगभग 100 स्टार्टअप थे, आज यह संख्या एक लाख को पार कर गई है.”
देश की आजादी के 75 और यूनिवर्सिटी के 100 सालः प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जब देश आजादी के 75 साल मना रहा है, तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 100 साल पूरे कर लिए हैं… यह सिर्फ एक यूनिवर्सिटी नहीं है, बल्कि एक आंदोलन है. इसने हर आंदोलन को जीया है, हर आंदोलन में जान फूंकी है.” उन्होंने कहा, ”एक समय था जब दिल्ली यूनिवर्सिटी में सिर्फ 3 कॉलेज थे, अब 90 से ज्यादा कॉलेज हैं. एक समय था, जब भारत नाजुक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में आता था और आज यह दुनिया की शीर्ष 5 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में शुमार है. आज डीयू में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है. इसका अर्थ है कि शिक्षण संस्थाओं की जड़ें जितनी गहरी होती हैं, देश की शाखाएं उतनी ही फैलती हैं.”
डीयू को लेकर क्या कहाः उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आप लोगों ने जब मुझे यहां आने का निमंत्रण दिया, तब तो यहां आना ही था. यहां आना आप लोगों के बीच में अपनापन जैसा लगता है. डीयू के दिग्गजों को देख लेते हैं तो हमें पता चल जाता है कि इस संस्था ने हमें क्या दिया है. मुझे अनुमान था कि पुराने साथियों से मिलने का मौका मिलेगा, जो आज मिल रहा है.