आरोप है कि यहां भी गिद्ध की तरह मरीजों को लूटा गया. यहां तक कि अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी की बात कर अपने ही अस्पताल के ऑक्सीजन सिलेंडर को 50-50 हजार में बेचा।
रौशन और रुचि नोएडा में रहते थे. रौशन सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छा पैकेज पर था. लेकिन पैसा रहने के बावजूद रौशन को मौत से पहले काफी दुर्गति झेलनी पड़ी।
रुचि का आरोप है कि रौशन की मौत कोरोना से कम अस्पताल की कुव्यवस्था और ऑक्सीजन खत्म होने के भय की वजह से हुई. रुचि और रौशन पांच साल पहले ही शादी के बंधन में बंधे थे. रौशन को याद कर रुचि के आंसू नहीं थम रहे. 26 दिनों तक वो अपने पति के साथ लगातार अस्पताल में ही रही लेकिन वह अपने पति को न बचा सकीं।