मेरठ| भाजपा के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों की घोषणा 20 अगस्त तक हो सकती है। पश्चिम में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के 14 जिलों में आधे से ज्यादा जिलाध्यक्ष-महानगर अध्यक्ष बदले जा सकते हैं। जनपद में भाजपा जाट, गुर्जर, ठाकुर और त्यागी समाज के अलावा पिछड़ा को भी प्रतिनिधित्व दे सकती है। महानगर में वैश्य या ब्राह्मण समाज पर दांव लगाया जा सकता है।

मेरठ जनपद की बात करें तो यहां जिलाध्यक्ष पद पर विमल शर्मा को कॉपरेटिव सोसाइटी का चेयरमैन बनाया जा चुका है। ऐसे में अब पार्टी यहां ब्राह्मण की जगह दूसरे समाज को प्रतिनिधित्व दे सकती है। पार्टी जाट, गुर्जर, ठाकुर या त्यागी कार्ड खेल सकती है। क्षेत्रीय स्तर पर इसको लेकर मंथन हो चुका है, अब अंतिम मोहर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी लगाएंगे।

महानगर की बात करें तो पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि यहां पर मुकेश सिंघल वैश्य समाज से हैं, उनकी जगह पर पार्टी किसी वैश्य को ही घोषित कर सकती है। हालांकि ब्राह्मण समाज को लेकर भी चर्चा की जा रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए पश्चिम में पार्टी हर समाज को साधने का काम कर रही है।

ऐसे में मेरठ मंडल में दूसरे जनपदों के समीकरण देखते हुए भी मेरठ में निर्णय लिया जाएगा। नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है, ऐसे में संगठन में जो बदलाव किया जाना है, उसमें अब देरी नहीं की जानी चाहिए। पहले 20 जुलाई तक जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय कार्यकारिणी के घोषित होने की बात थी लेकिन अब एक महीने बीतने के बाद भी कार्यकारिणी घोषित नहीं हुई है।

राष्ट्रीय लोकदल की ओर से इस माह के आखिर तक एक बार फिर से समरसता अभियान शुरू करने की तैयारी है। इसके जरिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जाट, मुस्लिम समेत अधिक से अधिक संख्या में लोगों को पार्टी से जोड़ने का अभियान चलाया जाएगा। लोगों को भाजपा की गलत नीतियों के विषय में बताया जाएगा। इससे जयंत चौधरी के भाजपा में शामिल होने की अफवाहों पर भी विराम लगेगा।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में जयंत चौधरी लोकसभा चुनाव से पहले चर्चाओं में हैं। उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलों के बीच सपा और इंडिया गठबंधन भी उनके साथ होने का दावा कर रहा है। लोकसभा चुनावों को लेकर रालोद की ओर से बीते दिनों समरसता अभियान शुरू किया गया था।

बागपत समेत कई जिलों में कार्यक्रम आयोजित हुए और हजारों की संख्या में लोग इन कार्यक्रमों में शामिल भी हुए। इसके बाद अभियान को रोक दिया गया। यह चर्चा थी कि अभियान को इसलिए बीच में रोका गया कि भाजपा को इससे नुकसान न पहुंचे। वहीं राज्यसभा में दिल्ली बिल पर जयंत के शामिल न होने पर भी अटकलों का दौर शुरू हो गया। लेकिन अब रालोद की ओर से अभियान शुरू कर जयंत चौधरी के कहीं और जाने की अफवाहों पर भी विराम लगाने की तैयारी है।

रालोद के राष्ट्रीय महासचिव संगठन त्रिलोक त्यागी ने कहा कि इस माह के आखिर से फिर से समरसता अभियान शुरू किया जाएगा। अलीगढ़ से इसकी शुरुआत की जाएगी। अभियान को लेकर जिलों का चुनाव किया जा रहा है। जल्द ही बाकी जिलों की सूची जारी की जाएगी। अभियान के दौरान, जाट, मुस्लिमों के साथ-साथ सर्वसमाज को जोड़ा जाएगा और पार्टी की नीतियों का प्रचार किया जाएगा।