नई दिल्ली. ऑस्ट्रेलिया में 8वां टी20 वर्ल्ड कप खेला जा रहा है. इसमें दो ऐसे खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं, जो इससे पहले, हुए सातों विश्व कप खेले हैं. इसमें बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन के अलावा भारतीय कप्तान रोहित शर्मा शामिल हैं. रोहित 2007 से 2021 तक हुए सभी 7 टी20 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं. उन्होंने इन सातों वर्ल्ड कप में कुल 33 मैच खेले हैं, जो भारत की तरफ से सबसे अधिक हैं. रोहित 35 साल के हो चुके हैं और यह उनका आखिरी टी20 वर्ल्ड कप हो सकता है. क्योंकि अगला टूर्नामेंट 2024 में होगा. तब तक रोहित 37 साल के हो चुके होंगे. ऐसे में वो 2024 में टी20 विश्व कप में खेलें, इसकी संभावना बेहद कम है.

आखिर कैसे रोहित इन 15 सालों में सभी टी20 वर्ल्ड कप में खेल पाए. कैसे 2007 में उन्हें टी20 वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई टीम में जगह मिली और उनके खेल में ऐसी क्या खूबी है कि इतने साल बीत जाने के बाद भी वो टी20 फॉर्मेट में हिट और फिट हैं?

रोहित के खेल की खूबी के बारे में जान लेने से पहले, आपको पहले यह बताते हैं कि कैसे उन्हें 2007 के टी20 विश्व कप के समय टीम इंडिया में जगह मिली थी. दरअसल, 2007 भारतीय क्रिकेट के लिए बड़े उतार-चढ़ाव का साल था. 2007 के मार्च-अप्रैल में वेस्टइंडीज में वनडे वर्ल्ड कप खेला गया था और टीम इंडिया पहले दौर में ही टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी. इससे केवल एक साल पहले, बीसीसीआई ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ 2011 के वनडे विश्व कप की मेजबानी मिलने के बदले में सितंबर, 2007 में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय़ टीम को भेजने का फैसला लिया था.

अब टी20 विश्व कप के लिए खिलाड़ी कैसे चुने जाएंगे, इसके लिए बीसीसीआई ने 2007 के जून महीने में तीस संभावितों के नाम का ऐलान किया है. प्लेयर पूल बनाने के लिए बीसीसीआई ने तब एक इंटरस्टेट टी20 टूर्नामेंट का आयोजन किया. इस टूर्नामेंट को टीवी पर नहीं दिखाया गया था और स्टेडियम में भी एंट्री पूरी तरह फ्री थी. इसी टूर्नामेंट के वेस्ट जोन लेग में, मुंबई का मुकाबला ब्रेबोर्न स्टेडियम में गुजरात से हो रहा था. मुंबई की टीम 142 रन का पीछा करने उतरी थी और पहली ही गेंद पर अजिंक्य रहाणे आउट हो गए. इसके बाद बल्लेबाजी के लिए रोहित शर्मा उतरे. तब उनकी उम्र 19 साल थी. उन्होंने 45 गेंद में 13 चौके और 5 छक्के के दम पर नाबाद 101 रन ठोक डाले. इसके साथ ही वो टी20 में शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बने थे.

अगले ही महीने, रोहित दक्षिण अफ्रीका के लिए 30 सदस्यीय संभावितों में जगह बनाने के अलावा इंग्लैंड-आयरलैंड दौरे पर होने वाली व्हाइट बॉल सीरीज के लिए उन्हें टीम में चुन लिया गया. शुरुआत में लिमिटेड ओवर क्रिकेट में कम मौके मिलने के बावजूद रोहित वनडे और टी20 के सबसे धाकड़ बल्लेबाज बनकर उभरे. इसका सबूत है वनडे में उनके तीन दोहरे शतक.

रोहित के बचपन के कोच दिनेश लाड ने बताया, ‘वो मुझे (रोहित) 2007 में फोन करता था कि मौके कम मिल रहे हैं. तब मैंने उससे कहा था कि यह भारतीय क्रिकेट टीम, कोई गली-मोहल्ले की टीम नहीं. यहां मौके कम ही मिलेंगे. जब भी मिले, उसे भुनाने की पूरी कोशिश करो. मुझे याद है कि 2007 के टी20 विश्व कप में रोहित को युवराज सिंह की जगह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नॉकआउट मैच में खेलने का मौका मिला. उन्होंने मैच में अर्धशतक जड़ा था. इसके बाद से रोहित ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.’

लाड ने समझाया कि जिस फॉर्मेट में बाकी बल्लेबाज संघर्ष करते दिखे, उसे रोहित ने कैसे इतनी आसानी से अपना लिया और उसमें चमके भी. कोच के मुताबिक, अगर आप रोहित को देखें तो वो सीधे बल्ले से खेलते हैं. वो बल्लेबाजी के दौरान हर चीज को सिंपल रखते हैं. आप उन्हें बिल्कुल अलग तरह का शॉट खेलने के चक्कर में आउट होते हुए कम ही देखेंगे. यह उनका सबसे बड़ा गुण है.

रोहित ने गुजरात के खिलाफ जिस मैच में टी20 का पहला शतक जड़ा था. उस मैच में मुंबई के कोच प्रवीण आमरे थे. उन्होंने काफी शुरुआत से रोहित को देखा है. टी20 फॉर्मेट में क्यों रोहित इतने सफल हुए, आमरे ने इसकी वजह का खुलासा किया. उन्होंने बताया, ‘रोहित का बेस मजबूत है. उनकी सोच बिल्कुल साफ रहती है, वो हालात को ज्यादा जटिल नहीं बनाते.’

लाड के मुताबिक, ‘रोहित जब बैटिंग करते हैं, तो फिर कप्तानी के बारे में नहीं सोचते. वहीं, कप्तानी के दौरान बल्लेबाजी के बारे में नहीं सोचते. यह खूबी और दूसरे बल्लेबाजों के मुकाबले गेंद की लेंथ को जल्दी भांपने की उनकी काबिलियत उन्हें टी20 में सफल बनाती है. उनका खुद पर कभी शक नहीं करते.’

उन्होंने इससे जुड़ा एक किस्सा साझा किया. दिनेश लाड ने बताया कि जाइल्स शील्ड के अपने दूसरे मैच में, ‘मैंने रोहित से कहा कि क्या वो अपने स्वामी विवेकानंद स्कूल के लिए ओपनिंग कर सकते हैं. वो एक ही झटके में ओपनिंग के लिए तैयार हो गए जबकि उन्होंने इससे पहले कभी ओपनिंग नहीं की थी. रोहित बस, बल्लेबाजी करते रहना चाहते हैं. शायद यही कारण है कि जब 2013 में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली वनडे में टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी के लिए कहा तो वो तैयार हो गए थे. यह फैसला उनके करियर को बदलने वाला साबित हुआ. यही बात उनके टेस्ट करियर पर भी लागू होती है, जब वो 2019 में ओपनिंग के लिए तैयार हो गए थे.’

पिछले टी20 वर्ल्ड कप के बाद से ही रोहित बदली हुई रणनीति के तहत बल्लेबाजी कर रहे. वो हाई रिस्क, हाई रिवॉर्ड की सोच के साथ खेल रहे. इससे वो शुरुआती 20-30 रन तो तेजी से बना रहे हैं. लेकिन, इस चक्कर में जल्दी आउट हो जा रहे. कोच दिनेश लाड ने कहा कि मैं चाहता हूं कि वह ठीक से खेले और खुद को समय दे. अगर वह 20 ओवर तक बल्लेबाजी करता है, तो उसे हर बार 80 या 100 रन बना सकते हैं. अब बस वो यही चाहते हैं कि रोहित ऑस्ट्रेलिया में खुद को समय दें. क्योंकि वो शॉर्ट गेंदों को अच्छे से खेलते हैं. ऐसे में उनके ऑस्ट्रेलियाई विकट पर सफल होने की संभावना काफी है.