मुंबईः देश की आर्थिक राजधानी मुंबई डूब जाएगी, ये खतरा पहले भी कई इंटरनैशनल स्टडी में जताया जा चुका है. अब एक हालिया स्टडी में दावा किया गया है कि मुंबई शहर हर साल 2 मिलीमीटर की रफ्तार से नीचे धंस रहा है. करीब 19 वर्ग किमी का इलाका तो इससे भी कहीं ज्यादा, 8.45 मिमी प्रति वर्ष की तेजी से नीचे डूब रहा है. इस स्टडी के अलावा आईआईटी बॉम्बे की एक रिसर्च में दावा किया गया है कि शहर के नीचे बैठने का सालाना औसत 28.8 मिमी है. इसमें ये भी बताया गया है कि मुंबई के किन इलाकों को ज्यादा खतरा है.

जियोफिजिकल रिसर्च लैटर जर्नल में मार्च में छपी स्टडी में दुनिया के 99 देशों के 2016 से 2020 के सैटलाइट डाटा का InSAR मैथड से अध्ययन करके नतीजे प्रकाशित किए गए हैं. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ रॉड आइलैंड के वैज्ञानिकों की इस स्टडी के मुताबिक, चीन का तियानजिन शहर दुनिया में सबसे ज्यादा तेजी से डूब रहा है. इसके धंसने की रफ्तार 5.2 सेंटीमीटर सालाना है. तियानजिन के अलावा इंडोनेशिया में सेमारंग (3.96 सेमी) व जकार्ता (3.44 सेमी), चीन में शंघाई (2.94 सेमी) और वियतनाम में हो ची मिन्ह (2.81 सेमी) और हनोई (2.44 सेमी) की सालाना दर से डूब रहे हैं.

भारत के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले शहर मुंबई के बारे में इस स्टडी में कहा गया है कि मुंबई के समुद्र तल से 10 मीटर से कम ऊंचाई वाले करीब 46 वर्ग किमी के इलाके में से 19 वर्ग किमी का इलाका ऐसा है, जो 8.45 मिमी सालाना तक की रफ्तार से डूब रहा है. दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले मुंबई के डूबने की रफ्तार औसतन कम है, लेकिन समय के साथ समुद्र के जलस्तर में वृद्धि और अत्यधिक बारिश की वजह से इसका असर बढ़ा सकता है. इसके अलावा, हालिया स्टडी बताती हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से अरब सागर का जलस्तर 0.5 से लेकर 3 मिमी सालाना की दर से बढ़ रहा है. इसका मतलब ये कि जितनी तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है, उससे कहीं तेजी से मुंबई के कुछ इलाके नीचे बैठते चले जा रहे हैं. ये दोहरा खतरा है.

मुंबई के लगातार पानी में डूबने की ये घटना भूमि अवतलन नाम की एक भूगर्भीय प्रक्रिया की वजह से हो रही है. भूमि अवतलन में पृथ्वी की सतह नीचे की ओर बैठती चली जाती है. ऐसा बड़े पैमाने पर ग्राउंडवाटर निकालने, खनन, नेचुरल वेटलैंड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टों और पारिस्थितिक गड़बड़ी के कारण होता है. इसका कोई उपाय नहीं है, हालांकि इसकी रफ्तार कम की जा सकती है. एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में मुंबई में बाढ़ जैसे हालात ज्यादा बन सकते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए नगर निगम और शहरी प्लानर्स को तुरंत उपाय करने की जरूरत है.

इसके अलावा, एचटी ने आईआईटी बॉम्बे में क्लाइमेट स्टडीज पर एक हालिया अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासे पर भी रिपोर्ट दी है. इसमें दावा किया गया है कि मुंबई में औसतन 28.8 मिमी प्रति वर्ष की दर से भूमि अवतलन देखा गया है. कुछ इलाकों में तो ये रफ्तार 93 मिमी सालाना है. जिन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा है, उनमें भायखला, कोलाबा, चर्चगेट, कालबा देवी, कुर्ला, अंधेरी पूर्व, मुलुंड, नाहूर पूर्व, दादर, वडाला और ताड़देव, भांडुप, ट्रॉम्बे व गोवंडी के कुछ हिस्से शामिल हैं. हालांकि इस रिसर्च का समानांतर रिव्यू नहीं हुआ है.

इस रिसर्च की लीड ऑथर सुधा रानी का कहना है कि हाई एमिशन की स्थिति में समुद्र का स्तर 1 से 1.2 मीटर बढ़ने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में मुंबई का 38 फीसदी हिस्सा सामान्य बारिश में भी जलमग्न हो सकता है. यह एक गंभीर मसला है जिसका तुरंत समाधान करना चाहिए.