खतौली। पांच बेटियों को पालने के लिये पूरी जि़न्दगी मज़दूरी करने वाले बदनसीब बाप को मरने के बाद दो गज़ ज़मीन भी नसीब नहीं हुई। गाँव फुलत निवासी लापता दिहाड़ी मज़दूर की दर्दनाक मौत होने के बाद कोतवाली पुलिस की लापरवाही उजागर होने से मृतक के परिजनों में भारी आक्रोश व्याप्त है।

जानकारी के अनुसार रतनपुरी थाना क्षेत्र के गाँव फुलत का रहने वाला दिहाड़ी मज़दूर मुख्तार असद बीती 20 नवम्बर की प्रात: साईकिल द्वारा मज़दूरी पर जाने की बात कहकर घर से निकला था, जो कि देर शाम तक घर वापस नहीं लौटा था। सब जगह तलाश करने के बाद कुछ पता ना चलने पर लापता मुख्तार असद की पुत्री आसफा ने 23 नवम्बर को कोतवाली में तहरीर देकर अपने पिता की गुमशुदगी दर्ज करायी थी। आरोप है कि गुमशुदगी दर्ज करने के बाद लापता मज़दूर की खोजबीन करने के बजाये कोतवाली पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठे रही। बीती 20 नवम्बर की शाम रेलवे के लोहे वाले पुल के नजदीक ट्रेन की चपेट में आकर एक व्यक्ति की दर्दनाक मौत होने व मृतक की शिनाख्त ना होने पर पुलिस द्वारा अज्ञात में पंचनामा भरकर शव पोस्टमार्टम को भेजने की समाचार पत्रों में छपी एक पुरानी खबर का संज्ञान लेकर थाने पहुंची लापता मुख्तार असद की बेटियों की मृतक के कपड़े व चप्पल देखते ही चीख निकल गयी।

बताया गया कि 20 नवम्बर को ट्रेन की चपेट में आकर मरने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि लापता मज़दूर मुख्तार असद ही था। आरोप है कि शव के पास से मोबाइल फोन व साइकिल आदि सामान मिलने के बावजूद कोतवाली पुलिस ने शिनाख़्त कराने की ज़हमत उठाने के बजाये जल्दबाजी दिखाते हुए अज्ञात में पंचनामा भरकर शव पोस्टमार्टम को भेज दिया था। 23 नवम्बर को मृतक की बेटी आसफा ने गुमशुदगी दर्ज कराते हुए अपने पिता के हुलिये व पहने हुए कपड़ों का विस्तृत ब्यौरा तहरीर में लिखा था। बावजूद इसके पुलिस ने 20 नवम्बर को रेल की चपेट में आकर मरे व्यक्ति द्वारा पहने हुए कपड़ों और चप्पल आदि का लापता मज़दूर से मिलान करने की ज़हमत नहीं उठायी। लापता मज़दूर मुख्तार असद की बेटी थाने के चक्कर काटकर अपने पिता को बरामद कराने की गुहार लगाती रही, और पुलिस ढूंढने का बहाना बनाकर टरकाती रही।

बताया गया कि कोतवाली पुलिस की उदासीनता के चलते शिनाख़्त ना होने पर तीन दिन तक मोर्चरी में रखे मुख्तार असद के शव को दफनाने के बजाये उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। कोतवाली पुलिस के अनुसार ट्रेन की चपेट में आकर बुरी तरह क्षत विक्षप्त हुए शरीर से मृतक किस धर्म से जुड़ा हुआ था, इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा था। जिसके चलते मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। बताया गया 20 नवम्बर की प्रात: रेल ठेकेदार ने मुख़्तार असद को लोहे पुल के नज़दीक मज़दूरी पर लगाया था। शाम 5 बजे छुट्टी करने के बाद घर लौटते समय मुख्तार असद ट्रेन की चपेट में आकर हादसे का शिकार हो गया था। शव के पास से मोबाइल फोन, साइकिल आदि सामान मिलने के बावजूद पुलिस ने मृतक की शिनाख्त कराने में दिलचस्पी नहीं दिखायी। बताया गया मृतक मुख्तार असद के 5 बेटियां हैं। पत्नी की मौत के बाद मेहनत मज़दूरी करके तीन बेटियों की शादी कर चुका मृतक मुख्तार असद दो और बेटियों का दहेज इकट्ठा करने के लिये जीतोड़ मेहनत कर रहा था।

मुख्तार असद की मौत से परिवार में कोहराम मचने के साथ ही गांव मे शोक व्याप्त है। पूर्व सोसायटी चैयरमेन हाफिज़ सरवर आलम, ग्राम प्रधान हाजी वसीम अहमद, सपा नेता डा. मनसूर उल हक़ ने मृतक मुख्तार असद की बेटियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराये जाने की मांग जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह से की है।