ईंधन के दूसरे विकल्पों का समर्थन करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इस क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है. हाल ही में उन्होंने एक कार खरीदी है, जो न ही पेट्रोल और न ही डीजल या सीएनजी पर चलती है. केंद्रीय मंत्री के इस नए वाहन में हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने यह जानकारी भी दी है कि दिल्ली में इसका इस्तेमाल करेंगे, ताकि लोगों को विश्वास हो सके कि कार हाइड्रोजन पर भी अच्छा काम कर सकती है.
गडकरी हमेशा भविष्य में पेट्रोल पर कम निर्भरता की बात करते हैं. वे इस बात की कल्पना करते हैं कि भारत पेट्रोल पर कम निर्भर रहे. वित्तीय समावेशन पर 6वें राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के दौरान गुरुवार को उन्होंने कहा, ‘मेरे पास बसों, ट्रकों और कारों को ग्रीन हाइड्रोजन पर चलाने की योजना है, जो सीवेज के पानी औऱ शहरों के कचरे से तैयार होगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि वे कचरे से कीमत बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
गाड़ी के इस्तेमाल को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैंने पायलट प्रोजेक्ट कार खरीदी है, जो फरीदाबाद स्थित ऑयल रिसर्च इंस्टीट्यूट में तैयार ग्रीन हाइड्रोजन पर चलेगी. मैं लोगों को भरोसा दिलाने के लिए शहर में इसे चलाऊंगा…’ नवंबर में एक कार्यक्रम के दौरान गडकरी ने कहा था कि वह अगले दो-तीन दिन में कार कंपनियों के लिए अनिवार्य रूप से फ्लेक्स-ईंधन इंजन लाने का आदेश जारी करेंगे. फ्लेक्स-ईंधन इंजन में एक से अधिक ईंधनों का इस्तेमाल किया जा सकता है.
गडकरी ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हर साल आठ लाख करोड़ रुपये के पेट्रोलियम उत्पादों का आयात करता है. यदि भारत की पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता बनी रहती है, तो अगले पांच साल में आयात बिल बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा, ‘पेट्रोलियम आयात को कम करने के लिए मैं अगले दो-तीन दिन में एक आदेश पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं. इसके तहत कार विनिर्माताओं के लिए फ्लेक्स-ईंधन इंजन लाना अनिवार्य होगा.’ गडकरी ने बताया कि टोयोटो मोटर कॉरपोरेशन, सुजुकी और हुंदै मोटर इंडिया के शीर्ष अधिकारियों ने अपने वाहनों में फ्लेक्स-ईंधन इंजन पेश करने का आश्वासन दिया है.