मेरठ : जिले के राजस्व गांवों के गजट में सुधार न होने व विभिन्न स्तर पर बरती लापरवाही के कारण नौ ग्राम पंचायतों को राजस्व गांव का दर्जा प्राप्त रहा। अब जनगणना शुरू करने से पहले हर विकास खंड में कराए गए सर्वे में सच सामने आया है। जनगणना शुरू करने से पहले तमाम प्रक्रिया पूर्ण शासन को भेज दी गई है। जिले में नौ राजस्व गांव कम हो जाएंगे। जिले के सभी 12 विकास खंडों से जनगणना शुरू करने के लिए सर्वे रिपोर्ट मांगी गई। सर्वे रिपोर्ट में सामने आया कि करीब 30 साल पहले हस्तिनापुर क्षेत्र के गांव हस्तिनापुर कौरवान व हस्तिनापुर पांडवान को नगर पंचायत में शामिल होने के बाद भी दोनों गांवों का नाम राजस्व सूची में दर्ज है।
ऐसे ही खरखौदा कलां नाम का धरातल पर कोई गांव नहीं है, लेकिन सूची में बरसों से यह गांव भी दर्ज है। मवाना कलां व ढिकौली भी नगर पालिका मवाना में शाामिल हो चुके हैं। ऐसे ही वर्ष 2016 में हर्रा, खिवाई व शाहजहांपुर नगर पंचायत घोषित हो चुके हैं। इसके अलावा गांव जाफरपुर नगला भी शाहजहांपुर नगर पंचायत का हिस्सा है, लेकिन सभी राजस्व गांवों की सूची में दर्ज है। जिले में 595 राजस्व गांव होंगे पूर्व में हो चुकी जनगणना के दौरान गांवों को राजस्व सूची से बाहर नहीं किया जा सका। यहीं कारण रहा कि जनपद में बरसों से राजस्व गांवों की संख्या 604 रहीं। अब नौ गांव कम होने के बाद जनपद में कुल राजस्व गांवों की संख्या 595 हो जाएगी।
खोजा गजट, नोटिफिकेशन किया राजस्व गांवों की असल स्थिति की जांच के लिए गजट खोज कर रिपोर्ट तैयार कराई गई और नोटिफिकेशन कराया। अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग ने उप महाप्रबंधक रजिस्ट्रार जनगणना कार्यालय को रिपोर्ट भेजी है। सर्वे में जिले में नौ राजस्व गांव अतिरिक्त मिले। जिनका गजट की जांच कर सच्चाई का पता लगाया गया। इन गांवों को पहले ही नगर पंचायत घोषित व नगरीय क्षेत्र में शामिल कर लिया है। इन गांवों का नाम राजस्व सूची से हटाने के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।