नई दिल्ली. रेस्टोरेंट में अक्सर खाने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. सरकार कुछ ऐसा करने की तैयारी में है, जिससे रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो जाएगा. दरअसल रेस्टोरेंट में वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज को सरकार अनुचित मानती है और इस प्रैक्टिस को बंद करने के लिए लीगल फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना पर काम चल रहा है. अगर सरकार इस बारे में लीगल फ्रेमवर्क लेकर आती है तो रेस्टोरेंट उसके बाद सर्विस चार्ज नहीं वसूल कर पाएंगे.

सर्विस चार्ज वसूलना अनुचित
उपभोक्ता मामलों के सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह ने एक दिन पहले बताया कि रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज वसूले जाने पर लगाम लगाने के लिए सरकार जल्दी ही एक लीगल फ्रेमवर्क लेकर सामने आएगी. उन्होंने कहा कि रेस्टोरेंट एसोसिएशन और उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों से मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधि सर्विस चार्ज वसूले जाने को लीगल मानते हैं. हालांकि उपभोक्ता मामलों के विभाग का मानना है कि यह अनुचित ट्रेड प्रैक्टिस है और उपभोक्ताओं के अधिकारों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है.

जल्द आएगा लीगल फ्रेमवर्क
सेक्रेटरी ने पीटीआई से कहा, ‘हम जल्दी ही एक लीगल फ्रेमवर्क पर काम शुरू करेंगे. इस बो में 2017 में एक गाइडलाइन जारी किया गया था, लोगों ने उस पर अमल नहीं किया क्योंकि गाइडलाइन आम तौर पर लीगली बाध्यकारी नहीं होते हैं. लीगल फ्रेमवर्क बन जाने पर रेस्टोरेंट को उसका पालन करना पड़ेगा और सर्विस चार्ज वसूलना बंद करना पड़ेगा. ग्राहक सर्विस चार्ज और सर्विस टैक्स में कन्फ्यूज हो जाते हैं, इस कारण वे भुगतान कर देते हैं.’

अभी स्वैच्छिक है सर्विस चार्ज
एक सरकारी बयान में भी कहा गया कि रेस्टोरेंट या होटल जो सर्विस चार्ज वसूल करते हैं, वह वैधानिक नहीं है. बयान में कहा गया, ‘चूंकि रेस्टोरेंट या होटल के लिए उनके खाने की कीमत तय करने पर कोई पाबंदी नहीं है, ऐसे में सर्विस चार्ज के नाम अतिरिक्त पैसे वसूल करना उपभोक्ताओं के अधिकारों पर कुठाराघात है.’ बयान में कहा गया कि बैठक में उन बातों पर चर्चा की गई, जो ग्राहकों ने नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर सामने रखा. ये शिकायतें सर्विस चार्ज वसूल करने, बिना ग्राहक की सहमति लिए स्वत: चार्ज जोड़ने जबकि यह वैकल्पिक अथवा स्वैच्छिक है, मना करने पर ग्राहकों की बेइज्जती करने आदि से जुड़ी थीं.