नई दिल्ली: आज 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती है। वह अपने अंतिम जन्मदिन पर राजधानी के तीस जनवरी मार्ग पर बिड़ला हाउस में थे। उन्होंने उस दिन उपवास, प्रार्थना और अपने चरखे पर अधिक समय बिताकर जन्मदिन मनाया। दरअसल गांधी जी के लिए जन्मदिन सामान्य दिनों की तरह होता था, वह उस दिन भी अपने काम में लगे रहते थे। 1931 में जब वह लंदन में थे, तब उधर बसे भारतीयों ने उनका जन्मदिन मनाया था। उस दिन, गांधी सोसायटी और इंडियन कांग्रेस लीग ने उन्हें चरखा गिफ्ट में दिया था। इससे पहले 2 अक्टूबर, 1917 को एनी बेसेंट ने बंबई के गोखले हॉल में बापू की तस्वीर का अनावरण किया था। साल 1922, 1923, 1932, 1942 और 1943 में अपने जन्मदिन पर वह जेल में थे। उन्होंने 1942 में जन्मदिन पर आइसक्रीम खाई थी, जेल अधीक्षक ने उन्हें फूलहार भेजे थे। बापू 1924 में जन्मदिन पर उपवास पर थे। यह उपवास हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए रखा गया था।
गांधी जी के लिए अंतिम जन्मदिन की तरह अंतिम दिवाली भी नीरस रही थी। वह 12 नवंबर, 1947 को दीपोत्सव वाले दिन दिल्ली में सबसे शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील कर रहे थे। उस दिन उन्हें कुरुक्षेत्र में शरणार्थियों से मिलने के लिए जाना था, पर वह वहां जा नहीं सके थे। उस दिवाली वाले दिन वह बिड़ला हाउस में कुछ लोगों से मिले थे।
बापू बीच-बीच में यही कह रहे थे कि “भारत सबका है। यहां पर सब साथ-साथ रहेंगे।” उनसे एक विदेशी पत्रकार मिलने आए और पूछने लगे कि आपने कहा था कि आप 125 साल तक जीना चाहते हैं। इसके जवाब में बापू ने कहा कि मैंने अब ज्यादा जीने की इच्छा छोड़ दी है। मैंने कभी कहा था कि सवा सौ साल तक जिंदा रहूं, लेकिन अब मेरी ज्यादा जीने की इच्छा नहीं रही। वह उन दिनों देश के हालत से बेहद उदास थे।