देश-दुनिया में अपने खिलाफ बन रहे माहौल के बीच भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह अब अपने संसदीय क्षेत्र में ताकत दिखाएंगे। इसके लिए करनैलगंज में 11 जून को बड़ी रैली करने की तैयारी है। हालांकि इसे उनके समर्थक भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशों के तहत किया जा रहा कार्यक्रम बता रहे हैं। इस सबके बीच अयोध्या का संत समाज जहां उनके समर्थन में है, वहीं खाप पंचायतों के रुख के चलते राजनीतिक लिहाज से बृजभूषण का संकट बढ़ना तय माना जा रहा है।

बृजभूषण सिंह इन दिनों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इन प्रकरणों की दिल्ली पुलिस की जांच अभी चल रही है कि उत्तर भारत की खाप पंचायतों ने उनकी गिरफ्तारी के लिए 9 जून तक का अल्टीमेटम दे दिया है। मामले को जातीय रंग की ओर बढ़ता देख सरकार और भाजपा नेतृत्व सतर्क हो गई है। यही कारण है कि 5 जून को अयोध्या में होने वाली उनकी जन चेतना रैली को शासन-प्रशासन ने हरी झंडी नहीं दी। स्थानीय सांसद और भाजपा संगठन का एक बड़ा हिस्सा भी वहां राजनीतिक समीकरणों के प्रभावित होने की आशंका के चलते अंदरखाने इस कार्यक्रम के विरोध में पहले से ही खड़ा था।

अब कैसरगंज (गोंडा) से सांसद बृजभूषण सिंह की ओर से करनैलगंज में रैली एलान किया गया है। घोषित तौर पर कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व ने हर सांसद को अपने-अपने क्षेत्र में एक बड़ा कार्यक्रम करने का लक्ष्य दिया है। इसमें केंद्र की मोदी सरकार की 9 साल की उपलब्धियां बतानी हैं, लेकिन अंदरखाने माना जा रहा है कि वे इस रैली के माध्यम से क्षेत्र में अपनी पकड़ का अहसास कराएंगे।

हालांकि, गोंडा की नवाबगंज नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी को जिस निर्दल प्रत्याशी ने हराया, उसके मंच पर बृजभूषण के बेटे करन भूषण सार्वजनिक रूप से रहे। माना जा रहा है कि ऐसा करके बृजभूषण ने वहां की राजनीति में अपने परिवार की पकड़ का अहसास कराया। यहां की तीन नगर पालिका परिषदों में सिर्फ करनैलगंज में ही भाजपा का अध्यक्ष पद प्रत्याशी जीता।

सांसद बृजभूषण सिंह सिर्फ स्थानीय जनता पर अपने प्रभाव को लेकर ही नहीं, बल्कि भाजपा हाईकमान से अपने बेहतर संबंधों को दिखाने के लिए भी बयान देते रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि वर्ष 2017 के चुनाव में देवीपाटन मंडल के टिकट वितरण से पहले हाईकमान ने उनसे मश्विरा लिया। 2014 में वह राजनीति से संन्यास लेना चाहते थे, पर गृह मंत्री अमित शाह ने ऐसा करने से रोका।

बृजभूषण के खिलाफ जिस तरह से खाप पंचायतों ने मोर्चा खोला है, उससे भाजपा ने नफा-नुकसान का आकलन प्रारंभ कर दिया है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा हाईकमान ने अपने पदाधिकारियों से साफ तौर पर कह दिया है कि इस मामले में वे मीडिया को कोई भी बयान न दें। बता दें कि अंतराष्ट्रीय कुश्ती संघ भी पूरे मामले पर एतराज जता चुका है, जोकि चिंता का विषय माना जा रहा है।

खाप पंचायतों के विपरीत सांसद बृजभूषण के समर्थन में अयोध्या के प्रमुख संत आ गए हैं। हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन महंत प्रेम दास कहते हैं कि बृजभूषण पर लगे आरोप जांच का विषय हैं। इस बारे में वास्तविकता जांच एजेंसी ही बता सकती हैं। पर, उन्हें ऐसा लगता है कि बृजभूषण यूपी के पहलवानों को आगे बढ़ाना चाहते थे, इसलिए दूसरे राज्यों के पहलवानों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वर्तमान में अयोध्या का संत समाज बृजभूषण के साथ है। दो दिन पहले रामजन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के साथ बृजभूषण भी मंच पर थे।