नई दिल्ली। नॉर्थ ईस्ट के असम में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने अहम फैसला लिया है. बुधवार (21 अगस्त, 2024) को वहां मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 की मंजूरी दे दी गई. सीएम ने इस बात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर देते हुए बताया, “आज असम कैबिनेट ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 की स्वीकृति दे दी है। इसमें दो विशेष प्रावधान हैं: पहला- मुस्लिम विवाह का पंजीकरण अब काजी नहीं सरकार करेगी. दूसरा- बाल-विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा.”

असम कैबिनेट ने आज बैठक में लिए ये ऐतिहासिक फैसले
मुस्लिम महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए नया बिल
मुख्य रूप से एससी/एसटी गांवों में भूमि की बिक्री को प्रतिबंधित करके एससी/एसटी समुदाय के लिए एक सुरक्षा वाल्व
हेरिटेज बेल्ट और ब्लॉक का निर्माण
ओरुनोडोई लाभार्थियों की संख्या लगभग 50% बढ़ाकर 37 लाख करना
प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और पूर्व सांसद सोनल मानसिंह को श्रीमंत शंकरदेव पुरस्कार 2023 प्रदान करें
मोटर वाहन कराधान को तर्कसंगत बनाएं

‘लव जिहाद’ पर क्या बोले थे हिमंत बिस्वा सरमा?
असम में मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार है. वहां के सीएम कभी कांग्रेस में हुआ करते थे. हालांकि, बाद में उन्होंने बीजेपी का रुख किया और तब से वह हार्डकोर हिंदुत्व की राह पर हैं. हिमंत बिस्वा सरमा ने इससे पहले अगस्त की शुरुआत में कहा था कि उनकी सरकार ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनाएगी, जिसमें दोषी को सजा के तौर पर ‘आजीवन कारावास’ का प्रावधान होगा.

गुवाहाटी में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चार अगस्त, 2024 को असम सीएम बोले थे कि उन्होंने चुनाव के दौरान ‘लव जिहाद’ के बारे में बात की थी. जल्द ही वे लोग एक कानून लाएंगे, जिसमें ऐसे मामलों में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.

सीएम ने यह भी बताया था कि जल्द ही एक नई अधिवास नीति पेश की जाएगी, जिसके तहत केवल असम में जन्मे लोग ही राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए पात्र होंगे. दरअसल, असम सरकार ने चुनाव पूर्व वादे के अनुसार प्रदान की गई एक लाख सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी है. सीएम ने कहा था कि असम सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भूमि सौदों के बारे में फैसला लिया है.

शादी के रस्मों और रिवाजों पर नहीं होगा असर
शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन से रस्मों और रिवाजों पर कोई असर नहीं होगा. हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह बताया है कि इस एक्ट का उद्देश्य सिर्फ शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन करना है. इसका उद्देश्य रस्मों और रिवाजों पर प्रभाव डालना नहीं है, इसलिए एक्ट के लागू होने के बाद शादी के नियमों में कोई बदलाव नहीं होने वाला है.

कौन होता है काजी?
मुस्लिम समाज में शादी संपन्न कराने वाले धर्मगुरू को काजी कहा जाता है. भारत में ब्रिटिश काल का एक केंद्रीय कानून भी है जिसे काजी एक्ट 1880 कहा जाता है. इस एक्ट के अनुसार राज्य सरकारें कुछ काजियों की नियुक्ति करती है और उन्हें विवाह का रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार भी देती है. काजी शब्द का अर्थ न्यायाधीश होता है जो फैसला करता है. इतिहास में शहर काजी हुआ करते थे.