शामली। विद्युत निगम के 100 दिन के एजेंडे में सभी नलकूपों पर मीटर लगाने की घोषणा से किसानों और संगठनों में खलबली मच गई है। किसान संगठनों का मानना है कि जिले के नलकूपों पर मीटर लगने के बाद ज्यादा बिजली बिल आएगा। हालांकि अभी तक निजी नलकूपों पर मीटर लगाने के लिए कार्यदायी संस्थाओं से टेंडर मांगे गए है। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक कार्यालय ने विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर कहा कि निजी नलकूप उपभोक्ताओं को मीटर्ड करने के लिए कार्यदायी संस्था नियुक्त करके 100 दिन में लक्ष्य को पूरा करना है। विद्युत निगम के अधीक्षण अभियंता रामकुमार का कहना है कि निजी नलकूपों मीटर लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। कार्यदायी संस्था नियुक्त होने के बाद जिले में निजी नलकूपों पर मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने इस मुद्दे पर कहा कि नलकूपों पर बिना मीटर लगे किसानों को न्यूनतम बिजली बिल 1900 रुपये से लेकर 2200 रुपये आ रहा है। मीटर लगने के बाद एक हजार रुपये प्रतिदिन और एक साल में तीन लाख 65 हजार रुपये बिजली बिल आएगा। मौजूदा समय में हरियाणा में 250 रुपये नलकूप का प्रतिमाह बिजली बिल आ रहा है।
चौधरी टिकैत ने कहा कि यूपी में 1900 रुपये से लेकर 2200 रुपये प्रतिमाह आ रहा है। पंजाब में बिजली मुफ्त है। नलकूपों पर मीटर लगने से यहां का बिजली के बिलो में भारी बढ़ोत्तरी होगी। किसान खेती छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। किसान धरती बेचकर भी बिजली के बिलों का भुगतान नहीं कर पाएगा। नलकूपों पर बिजली के मीटर लगने के बाद किसान मजबूरन कनेक्शन कटवाएंगे। सरकार सुन नहीं रही है।
किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सवित मलिक ने कहा कि योगी सरकार ने चुनाव से पहले वादा किया था कि किसान को खेत की बिजली निशुल्क की जाएगी। अब ट्यूबवेल पर मीटर लगाने की तैयारी करके सरकार अपने वादे से पलट रही है। यह किसानों के साथ धोखा है। सरकार को किसानों से किया वादा पूरा करना चाहिए।