वाराणसी| अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के विरोध के कारण गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर का सर्वे नहीं हो सका। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम सुबह निर्धारित समय से पहुंची जरूर, लेकिन सर्वे नहीं कर सकी। इसकी सूचना पाकर जिलाधिकारी एस राजलिंगम और अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) ने एस चनप्पा मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने एएसआई की टीम और मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों से बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी। मसाजिद कमेटी का कहना है कि जब तक अदालत का स्पष्ट आदेश नहीं आएगा, तब तक सर्वे का काम नहीं होने दिया जाएगा।

एएसआई की 29 सदस्यीय टीम 35वें दिन ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची तो मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। उनका कहना था कि जिला जज की अदालत ने सर्वे और उसकी रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 सितंबर तक की इजाजत दी थी। सर्वे रिपोर्ट नहीं जमा की गई और जिला जज की अदालत ने आठ सप्ताह का समय और मांगा गया।

इस मामले की सुनवाई शुक्रवार (आठ सितंबर) को होनी है। अदालत ने तारीख आगे नहीं बढ़ाई है, फिर भी अवैधानिक तरीके से सर्वे किया जा रहा है। इसका विरोध किया जाएगा। अदालत के आदेश के बगैर सर्वे का काम नहीं होने दिया जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले का समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। लिहाजा, गुरुवार को सर्वे नहीं हो पाया। एएसआई की टीम सुबह से शाम तक ज्ञानवापी परिसर में ही रही, लेकिन भवन के आंतरिक हिस्से में प्रवेश नहीं मिल सका।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई 2023 को सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दिया था। एएसआई की टीम ने 24 जुलाई से सर्वे शुरू कर दिया। इस पर मसाजिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी और मसाजिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील करने का आदेश दिया।

जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे पर आपत्ति जताई है। उनका तर्क है कि न्यायालय ने तिथि नहीं बढ़ाई है, फिर दो सितंबर के बाद सर्वे क्यों हो रहा है। एक प्रार्थना पत्र भी दिया है। उनको कहा गया है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। इसलिए हमारे स्तर से इस संबंध में कोई निर्देश जारी करना उचित नहीं होगा। एएसआई टीम की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने के लिए पुलिस से कहा गया है।

इसके बाद कमेटी के पदाधिकारियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की और सर्वे पर रोक लगाने की मांग रखी। जब तक मामले की सुनवाई हुई, तब तक सर्वे पर रोक बरकरार रही। बाद में हाईकोर्ट ने सर्वे के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। इससे ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वे का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया। चार अगस्त से दोबारा सर्वे शुरू हो गया।

जिला जज की अदालत ने पहले आदेश में एएसआई को ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वे करके चार अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में जाने की वजह से ऐसा नहीं हो सका। बाद में एसएसआई ने सर्वे की समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया, जिसे जिला जज की अदालत ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने दो सितंबर को जांच रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। दो सितंबर को ही एएसआई ने अदालत ने सर्वे की समयसीमा आठ सप्ताह आगे बढ़ाने की आवेदन पत्र दाखिल कर दिया।

ज्ञानवापी के सर्वे की समयसीमा बढ़ाने की एएसआई की अर्जी पर शुक्रवार (आठ सितंबर) को सुनवाई होगी। इस पर मसाजिद कमेटी की तरफ से आपत्ति भी दर्ज कराई गई है। साथ ही समयसीमा बढ़ाने का आवेदन निरस्त करने की मांग रखी गई है। ज्ञानवापी से जुड़े कुछ और मामलों की सुनवाई भी शुक्रवार को होनी है।