लखनऊ. विश्व जनसंख्या दिवस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगाह किया कि जनसंख्या असंतुलन की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए. इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा था कि देश में मुस्लिम ही सबसे ज्यादा कॉन्ट्रासेप्टिव यानी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करते हैं. वहीं हाल ही में जारी किए गए NFHS-5 के सर्वे में ओवैसी के दावे को पूरी तरह खारिज कर देता है. आइए जानते हैं देश में कौन सा समुदाय गर्भनिरोधकों का कितना इस्तेमाल करता है, और राज्यवार स्थिति क्या है ?

हाल ही में जारी हुए NFHS-5 के मुताबिक देश में 15-49 साल की महिलाओं में गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल की राष्ट्रीय औसत 66.7 प्रतिशत है. मगर देश के मुसलमानों में ये औसत 60.3 प्रतिशत है, जो कि समुदाय के आधार पर सबसे कम है. यहीं नहीं ये देश के अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के मुकाबले भी ये आकंड़ा कम है.

गौरतलब है कि लखनऊ में विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर सीएम योगी ने कहा, ‘जब हम परिवार नियोजन/जनसंख्या स्थिरीकरण की बात करते हैं तो हमें ध्यान में रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़े, लेकिन जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति भी न पैदा होने पाए.’ उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए कि जनसंख्या वृद्धि की गति या किसी समुदाय का प्रतिशत अधिक हो और हम ‘मूल निवासियों’ की आबादी को स्थिर करने के लिए जागरूकता या प्रवर्तन के माध्यम से कार्य कर रहे हों.’ उन्होंने कहा कि इसका धार्मिक जनसांख्यिकी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और वहां अराजकता और अव्यवस्था शुरू हो जाती है.

AIMIM प्रमुख ओवैसी ने सीएम योगी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘उनके अपने ही स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में किसी कानून की जरूरत नहीं है. ज्यादातर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल मुसलमान ही कर रहे हैं. 2016 में कुल प्रजनन दर 2.6 थी जो अब 2.3 है. देश का जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) सभी देशों से सबसे अच्छा है.’