सहारनपुर. सहारनपुर के शिवालय मराठा काला का इतिहास समेटे हुए हैं। ऐतिहासिक श्री बागेश्वर महादेव की मंदिर का निर्माण 440 साल पहले मराठा शासकों ने कराई थी। वहीं बरसी महादेव मंदिर का निर्माण महाभारत काल में हुआ था। महा शिवरात्रि पर शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ेगा।

बेहट रोड स्थित श्री बागेश्वर महादेव मंदिर अपने में कई सौ साल पहला इतिहास समेटे हुए है। खास बात ये है कि यहां भगवान शिव का शिवलिंग स्वयं ही प्रकट हुआ था। करीब 550 साल पहले मराठा शासक ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। बागेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक का धर्म लाभ उठाते है। जिले ही नही हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड आदि राज्यों से भी यहां श्रद्धालु जलाभिषेक करने को आते हैं। शिवरात्रि के अवसर पर शिवभक्त बेल पत्र, भांग, धतूरा, फल फूल चढाकर पंचामृत और गंगाजल से जलाभिषेक करते हैं। बताया जाता है कि बागेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती हैं।

-महाभारत कालीन है बरसी महादेव मंदिर

बरसी महादेव मंदिर में भी महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं। महंत भोपाल गिरि ने बताया कि बरसी मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा है। बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण महाभारत के युद्ध के समय हुआ था। कौरवों और पांडवों की सभा ने मंदिर निर्माण की बात तय हुई थी। दुर्योधन ने बरसी गांव में मंदिर का निर्माण करा दिया था, लेकिन जैसे ही भीम को इसका पता चला तो उन्होंनें अपनी गदा से मंदिर के दरवाजें को घुमा दिया था। जिस कारण मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है। महाशिवरात्रि पर यहां तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु जलाभिषेक को पहुंचते हैं। महंत बताते है कि गांव के लोग मानते हैं कि गांव बरसी के कण कण में भगवान शिव का वास है। यही कारण् है यहां होलिका दहन नही होता क्योंकि माना जाता है कि होलिका दहन से भगवान शंकर के पैस झुलस जाते हैं।