नई दिल्ली। गरिमा के पिता डॉ आलोक सिंगला और माता डॉ नीरज सिंगला दोनों हिमाचल प्रदेश सरकार में मेडिकल ऑफिसर हैं. गामिनी सिंगला आनंदपुर साहिब, पंजाब की रहने वाली हैं. उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) में बी.टेक किया है.
गामिनी सिंगला आनंदपुर साहिब, पंजाब की रहने वाली हैं. उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) में बी.टेक पूरा किया और 2019 में पास आउट हुईं. गामिनी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) को चुना है और वह देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए काम करना चाहती हैं.
गरिमा का कहना था कि आईएएस अधिकारी बनना उनका बचपन का सपना था. वह 2020 से घर पर तैयारी कर रही थी और सेल्फ स्टडी पर निर्भर थीं. उन्होंने कहा, “मेरे परिवार, विशेष रूप से मेरे पिता ने मुझे भावनात्मक रूप से और पढ़ाई में भी बहुत मदद की है, उनके पिता उनके लिए अखबार पढ़ते थे ताकि वह अपना समय बचा सकें”
गरिमा ने कहा कि हम (मैं और पापा) पढ़ाई के बारे में चर्चा करते थे और वह जानते थे कि मेरे लिए क्या जरूरी है. यह मेरे लिए बहुत मददगार रहा है.
गरिमा के पिता डॉ आलोक सिंगला और माता डॉ नीरज सिंगला दोनों हिमाचल प्रदेश सरकार में मेडिकल ऑफिसर हैं और उनके भाई आईआईटी खड़गपुर से ग्रेजुएट हैं.
गरिमा के कॉलेज के प्रोफेसर राजेश भाटिया ने कहा था कि वह एक मेहनती और ईमानदार छात्रा थी. उन्होंने कहा, “वह क्लास मॉनिटर थीं और उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के दौरान नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन वह शामिल नहीं हुईं क्योंकि वह सिविल सेवाओं को आगे बढ़ाना चाहती थीं.”
ग्रेजुएशन के बाद से ही उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. उन्होंने ऑप्शनल विषय के रूप में समाजशास्त्र को लिया. अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स पास करने में असमर्थ, गामिनी अपने दूसरे प्रयास में आईएएस टॉपर के रूप में उभरीं.
परीक्षा की तैयारी के लिए हर रोज नौ से 10 घंटे पढ़ाई की. सिंगला ने कहा कि महिलाएं मेहनत और समर्पण से कुछ भी हासिल करने में सक्षम हैं. गामिनी ने सफलता का श्रेय भी अपने माता-पिता को दिया. युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए जी जान लगा दें.