पीएम मोदी के स्वागत के लिए मेज़बान देश पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ख़ुद एयरपोर्ट पर थे. यहाँ जैसे ही मोदी अपने विमान से उतरे तो मारापे उनके पैर छूते दिखे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मारापे की पीठ थपथपाते हुए उन्हें उठाया.
इस अवसर को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके समर्थक भारत के सम्मान से जोड़ रहे हैं. वहीं, दूसरे धड़े का यह कहना है कि साल 2014 से पहले (मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले) भी भारत के प्रधानमंत्रियों का ‘भव्य’ स्वागत होता आया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति जेम्स मारापे के साथ भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (FIPIC) के तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया. यह दौरा इसलिए भी ख़ास माना जा रहा है क्योंकि पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी गए हैं.
बीजेपी नेता और इंडियन काउंसिल फोर कल्चरल रिलेशन्स (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉक्टर विनय सहस्त्रबुद्धे ने इस पर लिखा, “वैश्विक समुदाय इस तरह से भारत, भारत के नेता और संस्कृति का सम्मान करता है.”
भारतीय जनता पार्टी के ऑफ़िशियल सोशल मीडिया हैंडल्स से भी ये वीडियो शेयर किया गया. ट्विटर पर बीजेपी ने लिखा, “सम्मान के तौर पर पापुआ न्यू गिनी के पीएम ने पीएम मोदी के पैर छुए.”
वहीं, ओलंपिक मेडल विजेता योगेश्वर दत्त ने लिखा है, “अपने व्यक्तित्व से सम्मान कमाना क्या होता है, इसका अद्भुत उदाहरण आज देखने को मिला जब पापुआ न्यू गिनी के माननीय पीएम ने हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.”
महिला पहलवान बबीता फोगाट ने भी इस पल को ऐतिहासिक बताते हुए लिखा है, “कोरोना महामारी में वैक्सीन भेजकर पीएम मोदी ने वहाँ के लोगों के लिए किसी फ़रिश्ते जैसा काम किया था. आज वैश्विक स्तर पर भारत की ताक़त को दुनिया मान रही है.”
इस वीडियो में वो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन के साथ दिख रहे हैं. रीगन छाता पकड़ कर राजीव गांधी को गाड़ी तक छोड़ने जाते दिख रहे हैं. एक यूज़र ने लिखा है, “पापुआ न्यू गिनी को ऐतिहासिक बताने वालों, नया इतिहास लिखने के चक्कर में पुराना इतिहास मत भूलो. आपके ज्ञानवर्द्धन के लिए वीडियो देखिए, जिसमें अमेरिकन राष्ट्रपति स्वयं तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिए छाता पकड़े हैं.”
इस वीडियो के बारे में सर्च करने पर पता चलता है कि 12 जून 1985 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन ने उस वक़्त भारत के पीएम रहे राजीव गांधी से मुलाक़ात की थी. ये वीडियो राजीव गांधी के उसी दौरे का है. एक अन्य यूज़र ने लिखा है कि 1985 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ख़ुद हाथ में छाता लेकर राजीव गांधी को कार तक छोड़ने आए थे. भारत तब भी ताक़तवर था.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने जी-7 देशों की बैठक का एक वीडियो शेयर कर के पीएम मोदी पर निशाना साधा है. महज़ 12 सेकेंड के इस वीडियो में बाकी सदस्य देशों के नेता आपस में गुफ़्तगू करते दिख रहे हैं लेकिन पीएम मोदी एक ओर अलग खड़े हैं. जवाहर सरकार ने लिखा है, “ऐसा लगता है कि हमारे पीएम हिरोशिमा में हुई जी-7 समिट में अकेले हैं.”
पापुआ न्यू गिनी में भारत ने अपना उच्चायोग 27 साल पहले अप्रैल 1996 में खोला था. इसके 10 साल बाद 2006 में पापुआ न्यू गिनी ने भी भारत में अपना उच्चायोग शुरू किया. साल 2016 में प्रणब मुखर्जी पापुआ न्यू गिनी का दौरा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति थे. भारत, पापुआ न्यू गिनी को टेक्सटाइल, मशीनरी, खाद्य पदार्थ, दवाओं, सर्जिकल आइटम, साबुन, वॉशिंग पाउडर जैसे ज़रूरी सामान निर्यात करता है. लेकिन भारत समय-समय पर पापुआ न्यू गिनी को मानवीय सहायता भी देता रहा है, जिसने दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने में मदद की है.
जब दुनिया भर में कोरोना महामारी अपने चरम पर थी और टीका बनाने वाले बड़े देश इसके निर्यात पर रोक लगा रहे थे, तब भारत ने पापुआ गिनी को कोरोना वैक्सीन की एक लाख 31 हज़ार खुराक दी थी. भारत भी कॉफ़ी, टिंबर, समुद्री उत्पादन, कोकोआ, सोना, कांसे जैसी ज़रूरी चीज़ें पापुआ न्यू गिनी से आयात करता है. भारत 2014-15 के बीच पापुआ न्यू गिनी को 5.219 करोड़ डॉलर का निर्यात करता था लेकिन 2019-20 में ये घटकर 3.857 करोड़ डॉलर हो गया.
वहीं, पापुआ न्यू गिनी से भारत 2014-15 में 15.729 करोड़ डॉलर का सामान आयात करता था जो 2019-20 में 3.676 करोड़ डॉलर पर था. विदेश मंत्रालय की ओर से दोनों देशों के संबंधों पर जारी एक प्रेस नोट के अनुसार पापुआ न्यू गिनी में करीब 3000 भारतीय रहते हैं. हालांकि, ये आंकड़ा 2020 तक का है. इनमें से अधिकांश चार्टर्ड अकाउंटेंट, यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर, स्कूल टीचर और डॉक्टर हैं.
कुछ लोग आईटी, फ़ाइनेंस, ट्रेडिंग, निजी कारोबार, मिशनरी से जुड़े कामों में भी लगे हैं. पापुआ न्यू गिनी में कई भारतीय प्रभावशाली रुतबा भी रखते हैं. यहाँ ये लोग सीधे या पार्टनरशिप में नामी-गिरामी सुपर स्टोर या अन्य व्यवसायों चला रहे हैं. इस देश के वेस्ट न्यू ब्रिटेन प्रांत के गवर्नर शशिधरन मुथवेल भारतीय मूल के ही हैं. उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार भी दिया जा चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने दौरे पर अपने समकक्ष मोरापे के साथ मिलकर तमिल भाषा की प्रसिद्ध किताब ‘तिरुकुरल’ के पापुआ न्यू गिनी की भाषा में अनुवादित संस्करण का विमोचन किया. यह किताब सुभा शशिधरन और वेस्ट न्यू ब्रिटेन प्रांत के गवर्नर शशिधरन मुथवेल ने मिलकर लिखी है.
पीएम मोदी ने दोनों लेखकों को पापुआ न्यू गिनी में भारतीय संस्कृति को सहेजने के लिए शुक्रिया भी कहा.
पापुआ न्यू गिनी अक्सर ज्वालामुखी, भूकंप और समुद्री तूफ़ान का शिकार रहा है. भाषाई तौर पर इसकी गिनती दुनिया के सबसे विविध देशों में होती है. यहाँ 700 से अधिक भाषाएं हैं. पापुआ न्यू गिनी की क़रीब 80 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण इलाक़ों में बहुत कम या न के बराबर सुविधाओं के साथ गुज़र-बसर करती है.
सुदूर पहाड़ी इलाक़ों में बहुत सी जनजातियां ऐसी हैं जो बाहरी दुनिया से कटी हुई हैं. ये लोग खेती के ज़रिए जीवनयापन करते हैं. साल 1906 में इसका नियंत्रण ब्रिटेन से ऑस्ट्रेलिया को मिला और साल 1975 में ये देश ऑस्ट्रेलिया से भी पूरी तरह आज़ाद हो गया था.
जेम्स मारापे साल 2019 से प्रधानमंत्री हैं और वो पांगु पाटी नाम की पार्टी के नेता हैं. 52 साल के हो चुके मारापे ने पापुआ न्यू गिनी की यूनिवर्सिटी से ही 1993 में स्नातक की पढ़ाई की थी. उन्होंने इन्वायरमेंटल साइंस और बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन विषयों में डबल पोस्ट ग्रेजुएशन भी की है. मारापे पापुआ न्यू गिनी के आठवें प्रधानमंत्री हैं लेकिन इससे पहले की सरकारों में भी वो कई अहम विभागों के मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने साल 2019 में पीपल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा देकर पांगु पाटी जॉइन की थी. 2020 में अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए उनकी सरकार को गिराने की नाकाम कोशिश की गई थी.