मेरठ। नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना केंद्र सरकार 12 मार्च से पहले कभी भी जारी कर सकती है। इसको लेकर पश्चिमी यूपी में पुलिस और खुफिया एजेंसियां चौकस हो गई हैं। लखनऊ से हर जिले की पूरी प्लानिंग मांग ली गई है। साफ कह दिया गया कि अगर कोई माहौल बिगाड़ने का प्रयास करता है तो सख्त कार्रवाई करें। बवालियों के घरों पर बुलडोजर चलेगा। पुलिस के तमाम अधिकारी इसकी प्लानिंग बनाने में जुटे हैं।
मेरठ जोन को सीएए के हिसाब से बेहद संवेदनशील जोन में रखा गया है। सभी खुफिया एजेंसियों को लगा दिया गया है। पुलिस, पीएसी आरएएफ के अलावा एसटीएफ और एटीएस को भी निगरानी करने के लिए कहा गया है। सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए कई टीमें लगाई गई हैं। मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर और बुलंदशहर में पिछली बार हुई हिंसा को देखते हुए इन जिलों पर खास फोकस रहेगा।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ से अलर्ट रहने को कहा गया है। सभी एडीजी, आईजी, एसएसपी से सुरक्षा का फुलप्रूफ प्लान मांगा गया है। पुलिस और खुफिया एजेंसियाें ने जिस तरह से तैयारियां शुरू की हैं, उसको देखकर साफ है कि सीएए की अधिसूचना के बाद अगर किसी ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया तो बवालियों से सख्ती से निपटा जाएगा।
दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लागू करने की बात कही तो कई राज्यों में हिंसा की आग भड़क गई थी। वेस्ट यूपी के कई जिलों में बड़ा बवाल हुआ। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर और बुलंदशहर में उपद्रवियों ने जमकर उत्पात मचाया था। सैकड़ों वाहन, बिल्डिंग और पुलिस चौकी तक को जला दिया गया था। मेरठ में उपद्रव में छह लोगों की मौत हुई थी। सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में बसे बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाइयों सहित प्रताड़ना झेल चुके गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देना है।
सरकार के मुताबिक इस कानून में किसी भी भारतीय, चाहे वह किसी मजहब का हो, की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से खतरा नहीं है। सीएए को संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी भी दे दी गई थी। विरोध के चलते अधिसूचना जारी नहीं की गई थी।