भुवनेश्वर। राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने आज सदन से लेकर सड़क तक प्रतिवाद किया है। ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों ने काले कपड़े पहनकर राज्य विधानसभा में हंगामा किया, जिसके कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
जानकारी के मुताबिक, विधानसभा में सुबह 10.30 बजे प्रश्नकाल के लिए सदन की कार्यवाही शुरू होते ही काले कपड़े पहनकर सदन में पहुंचे कांग्रेस सदस्य मोदी विरोधी नारे लगाते हुए विधानसभा के बीचोबीच आ गए। विधानसभा अध्यक्ष बिक्रम केशरी आरूख ने कांग्रेस विधायकों से अपनी सीटों पर वापस जाने की अपील की क्योंकि वित्त, गृह, खान जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर चर्चा होनी थी।
कांग्रेस विधायकों को इसका कुछ भी असर नहीं हुआ और कांग्रेस के सदस्यों ने नारेबाजी करते हुए अपना विरोध जारी रखा। ऐसे अराजक परिदृश्य में अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि हम इस दिन को अपने लोकतंत्र के लिए काले दिवस के रूप में मना रहे हैं इसलिए हम सभी ने काले कपड़े पहने हैं। उन्होंने (भाजपा सरकार ने) लोकतंत्र की हत्या की है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक ताराप्रसाद बाहिनीपति ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि अगर लोकतंत्र जीवित रहेगा तो देश बचेगा।
ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) के अध्यक्ष शरत पटनायक ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हम विधानसभा के अंदर और बाहर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। राहुल गांधी की आवाज को दबाया जा रहा है, उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। इस देश के लोग तय करेंगे कि लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया गया या नहीं?
उन्होंने आरोप लगाया कि देश के कई मुख्यमंत्रियों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपने विचार व्यक्त किए हैं, लेकिन ओडिशा के मुख्यमंत्री चिटफंड और खनन घोटालों की सीबीआई और ईडी जांच के डर से कोई बयान नहीं दे रहे हैं। ओपीसीसी अध्यक्ष ने बताया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों का एक प्रतिनिधिमंडल आज दोपहर में राज्यपाल गणेशी लाल से मुलाकात कर ज्ञापन दिया है।
कांग्रेस सदस्यों के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता जयनारायण मिश्रा ने कहा कि जिन लोगों ने आपातकाल के दौरान सभी को सलाखों के पीछे डाल दिया है, वे आज लोकतंत्र की वकालत कर रहे हैं। वे किस तरह के लोकतंत्र की बात कर रहे हैं? जो भी निर्णय लिया गया, वह कानून के अनुसार है, जिसे 1951 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अधिनियमित किया गया था।
आश्चर्य की बात यह है कि सदन को सीधे शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि यदि प्रश्नकाल के दौरान कोई गड़बड़ी होती है, तो केवल प्रश्नकाल को निलंबित किया जाना चाहिए था। लेकिन शून्यकाल और स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा भी स्थगन के लिए नहीं ली गई।