चंडीगढ़. रूस-यूक्रेन-युद्ध के चलते गेहूं की मांग बढ़ने की उम्मीद है, इसी के चलते मौजूदा रबी के सीजन में निजी व्यापारियों द्वारा गेहूं की खरीद दो सप्ताह के भीतर 1 लाख टन तक पहुंच गई है. इन उत्साहजनक रुझानों के बीच राज्य का खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग इस सीजन के अंत तक निजी व्यापारियों द्वारा कुल खरीद 10 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद कर रहा है. एक डाटा के मुताबिक पिछले आठ वर्षों में उच्चतम निजी खरीद 2014 में सबसे अधिक 2.9 लाख टन थी.

राज्य भर में स्थापित मंडियों और खरीद केंद्रों में 13 अप्रैल तक कुल 20.6 लाख टन गेहूं आ चुका है, जबकि सरकारी एजेंसियों पंग्रेन, पुन्सप, पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन और मार्कफेड ने केंद्र के भारतीय खाद्य निगम एफसीआई के अलावा 16.8 लाख टन की खरीद की है, निजी खिलाड़ियों द्वारा खरीद 99,637 टन को छू गई है. दरअसल बुधवार को निजी खरीद में 43,000 टन का उछाल आया था. पिछले सीजन में इसी अवधि में निजी खरीद शुरू भी नहीं हुई थी. 2020 में यह खरीद केवल 56,000 टन थी.

दुनिया भर में दो प्रमुख गेहूं निर्यातक यूक्रेन और रूस के बीच छिड़े युद्ध के चलते यह उम्मीद की जा रही थी कि भारत में पंजाब और अन्य गेहूं उत्पादक राज्यों में निजी खिलाड़ियों द्वारा फसल खरीद में वृद्धि होगी. एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि पंजाब बंदरगाह से दूर होने के कारण निजी व्यापारियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक पसंदीदा बाजार नहीं है, जो खाद्यान्न निर्यात करते हैं. हालांकि युद्ध निश्चित रूप से पंजाब पर एक स्पिलओवर प्रभाव डाल रहा है, जिससे निजी खरीद में वृद्धि हुई है.

निजी खिलाड़ियों द्वारा किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जा रहा है, जो सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2015 से ज्यादा है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति सचिव गुरकीरत कृपाल सिंह का कहना है कि हम निजी खिलाड़ियों द्वारा गेहूं खरीद में एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए आशान्वित हैं. उन्होंने कहा कि विभाग ने कुल 135 लाख टन गेहूं खरीद की व्यवस्था की है.