नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नई बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, अरहर का रकबा एक साल पहले की तुलना में इस बार 4.6 फीसद कम हुआ था, जबकि उड़द की बुवाई 2 फीसद कम थी। प्रमुख तुअर उत्पादक क्षेत्रों में भारी वर्षा और जलजमाव से फसल के नुकसान की चिंताएं बढ़ गई हैं। पिछले छह हफ्तों में अरहर दाल और उड़द दाल की कीमतों में लगातार उछाल देखा जा रहा है। आंकड़ों की माने तो अरहर और उड़द दाल की कीमतों में पिछले 6 सप्ताह में 15 फीसद से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, जलभराव के कारण फसल खराब होने को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।

आपको बता दें कि चालू खरीफ सीजन में रकबे में मामूली गिरावट और कम कैरी फॉरवर्ड स्टॉक है। महाराष्ट्र के लातूर में अच्छी गुणवत्ता वाली अरहर की दाल की कीमत (एक्स-मिल) लगभग छह सप्ताह पहले के 97 रुपये थी, जो अब 97 रुपये से बढ़कर 115 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक बुवाई के आंकड़ों में कमी आना इसका मुख्य कारण है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अरहर का रकबा एक साल पहले की तुलना में इस बार 4.6 फीसद कम था, जबकि उड़द का 2 फीसद कम हुआ। बता दें कि प्रमुख तुअर उत्पादक क्षेत्रों में इस बार भारी बारिश हुई है, जिसके परिणाम स्वरूप जलजमाव हुआ है। जलभराव ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

इस बीच उपभोक्ताओं को मसूर की कीमतों पर कुछ राहत मिली है, जो एक साल से उच्च स्तर पर बनी हुई है। आयातित साबुत मसूर की कीमत 29 जून को 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 8 अगस्त को 67 रुपये हो गई है।

बता दें कि कनाडा वर्तमान में मसूर की फसल की कटाई कर रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40 फीसद अधिक होने की उम्मीद है। भारत भी सस्ती दालों का आयात कर रहा है। वहीं, व्यापारी अपने पुराने स्टॉक को खत्म कर रहे हैं। इसलिए इसकी कीमतों में सुधार है। जानकारों की माने तो अधिक बारिश से उड़द की फसल को अधिक नुकसान होने की संभावना है। हालांकि, आपूर्ति की स्थिति दबाव में नहीं आ सकती है, क्योंकि आयात बढ़ने की उम्मीद है।