नई दिल्ली.युद्ध के लगभग दो महीने होने के बाद, रूस के एक जनरल ने यूक्रेन में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के “नए” मकसद को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा कि रूस की सेना का लक्ष्य पूर्वी यूक्रेन के अलावा दक्षिणी यूक्रेन पर पूर्ण नियंत्रण रखना है और ऐसा करने से मोल्दोवा देश के लिए रास्ता खुल जाएगा, जहां रूस ट्रांसनिस्ट्रिया के क्षेत्र का समर्थन करता है. यही वजह है कि रूस दोनेत्स्क और लुहान्स्क क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण के लिए लड़ना जारी रखे हुए है, जिन्हें मिलाकर डोनबास क्षेत्र बनता है.

शुक्रवार को रूस के केंद्रीय सैन्य जिले के डिप्टी कमांडर रुस्तम मिनेकेयेव ने कहा कि रूस अब अपने “विशेष सैन्य अभियान” के दूसरे चरण के दौरान डोनबास और दक्षिणी यूक्रेन पर पूर्ण नियंत्रण चाहता है. मिनेकेयेव का बयान यूक्रेन में मस्को की नवीनतम महत्वाकांक्षाओं के बारे में सबसे विस्तृत ब्योरों में से एक है, जो यह बताता है कि रूस जल्द ही वहां अपने आक्रमण को समाप्त करने की योजना नहीं बना रहा है.

रूसी जनरल की घोषणा के जवाब में जेलेंस्की ने दी थी चेतावनी
दक्षिणी यूक्रेन से मोल्दोवा के लिए मार्ग खोलने को लेकर रूसी सेना के बारे में मिनेकेयेव की घोषणा के जवाब में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने चेतावनी दी, “यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को केवल शुरुआत माना गया था; इसके अलावा, वे दूसरे देशों को हथियाना चाहते हैं.” मोल्दोवा के अधिकारी यूक्रेन में पुतिन के कार्यों को सावधानी से देख रहे हैं, और ज़ेलेंस्की के सलाहकार मायखाइलो पोडोलीक ने कहा कि रूस “हमेशा हर किसी से झूठ बोल रहा था और वास्तव में, शुरू से ही, वह ट्रांसनिस्ट्रिया के लिए एक मार्ग सुरक्षित करने के लिए यूक्रेन के कुछ क्षेत्रों को हथियाना चाहता था

क्या है डोनबास का महत्व
रूस ने यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र में कोयला खदानों और कारखानों पर नियंत्रण हासिल करने और देश के दो टुकड़े करने के मकसद से उसके शहरों पर हमले तेज कर दिए तथा युद्ध के मोर्चे पर और सैनिकों को लगा दिया. डोनबास में सैकड़ों मील क्षेत्र में लड़ाई छिड़ गयी है. यदि रूस इस क्षेत्र पर कब्जा करने के अपने प्रयास में सफल हो जाता है तो उससे यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के असफल प्रयास के बावजूद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक बड़ी जीत मिलेगी.

रूस की तास समाचार एजेंसी के हवाले से डिप्टी कमांडर ने कहा कि डोनबास पर रूसी सेना का नियंत्रण “क्रीमिया के लिए एक जमीनी गलियारा स्थापित करने और महत्वपूर्ण यूक्रेनी सैन्य सुविधाओं, काला सागर बंदरगाहों पर प्रभाव हासिल करने में सक्षम होगा”. रूसी सैनिकों ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था.