लखीमपुर खीरी ! लखीमपुर खीरी में किसानों और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बने गतिरोध में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.
हालाँकि एक तबका उनके व्यवहारिक रुख़ की प्रशंसा भी कर रहा है कि उन्होंने हालात को बेकाबू होने से बचा लिया और किसानों के आंदोलन को पटरी से नहीं उतरने दिया.
लेकिन एक तबका टिकैत पर सवाल उठा रहा है कि उन्होंने सरकार की बात मानने में जल्दबाज़ी की जबकि पूरी मांगें नहीं मानी गई थीं.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने पूरे मामले में राकेश टिकैत की भूमिका पर उठ रहे सवालों को लेकर एक रिपोर्ट को प्रमुखता से जगह दी है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कई लोग राकेश टिकैत पर बीजेपी के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगा रहे हैं.
लखीमपुर खीरी में कुल आठ लोगों की जान गई है. इनमें चार सिख किसान हैं. द हिन्दू ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ”हालाँकि रविवार के बाद राकेश टिकैत की छवि और मज़बूत हुई है. इस इलाक़े में किसानों के एकमात्र नेता के रूप में लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति मिली और इससे उनकी महत्वाकांक्षा और बढ़ गई है.”