मेरठ. दिल्ली-मेरठ के बीच की दूरी कम समय में नापने वाली रैपिड रेल NCR में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम करेगी। 180 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रैक पर दौड़ने वाली रैपिड रेल के कारण रोजाना मेरठ से दिल्ली के बीच जाने वाले 5हजार से अधिक वाहनों पर ब्रेक लगेगा। नौकरीपेशा युवाओं, छात्रों के लिए रैपिड रेल दिल्ली जाने का मुख्य साधन बन जाएगी। यातायात सुगम होगा। ऐसे में वाहनों से रोजाना NCR की हवा में घुलने वाले धुएं में भी कमी आएगी।

2.50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन हर साल घटेगा
रैपिड रेल यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर को बनाने वाले NCRTC के अनुसार रैपिड रेल हर साल दिल्ली, मेरठ के बीच ढाई लाख टन कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी। रैपिड रेल चलते ही इस रुट पर एक लाख वाहनों का दबाव कम होगा। इसका असर सीधे प्रदूषण पर होगा। रैपिड रेल से वायुमंडल में वाहनों के धुएं से निकलने वाले PM 2.5 की मात्रा कम होगी। हवाई जहाज जैसी सुविधाओं वाली रैपिड रेल 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलेगी।

NCRTC की स्टडी में दिखी पॉल्यूशन लेवल में कमी
NCRTC यानि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम ने रैपिड रेल और एनसीआर के पॉल्यूशन की स्टडी कराई। स्टडी में साफ तौर पर रैपिड रेल को एनसीआर के पॉल्यूशन कंट्रोल में सहयोगी बताया गया है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के रिसर्च के अनुसार रैपिड रेल से वायुमंडल से कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर का लेवल कम हुआ। रैपिड रेल हर साल वायुमंडल से 60,000 टन पीएम 2.5 कण कम करेगी। इसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड 4,75,000 टन, हाइड्रोकार्बन 8,00,000 टन और कार्बन मोनोऑक्साइड 8,00,000 टन कम होगी।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ने से घटेगा पॉल्यूशन
पर्यावरण विद और पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के अनुसार वायुमंडल में घुलते जहर के दो बड़े कारण हैं। पहला घटते पेड़ दूसरा बढ़ता वाहनों का धुंआ। पेड़ वाहनों के धुएं को सोख लेते हैं, लेकिन अब पेड़ नहीं रहे तो धुएं की चादर वायुमंडल पर बढ़ती जा रही है। वाहनों के धुएं का प्रदूषण में 40 प्रतिशत योगदान है। जब वाहनों की संख्या घटेगी तो कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण खुद कम होगा। एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग रिसर्च में भी यह सिद्ध हो चुका है। रैपिड रेल से दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ रूट पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट 37 से बढ़कर 63 प्रतिशत हो जाएगा। वाहन घटेंगे तो पर्यावरण साफ होगा।

एक लाख वाहन कम होंगे
दिल्ली, मेरठ, गाजियाबाद रूट पर रैपिड रेल चलने से यहां एक लाख वाहनों के कम होने का अनुमान एनसीआरटीसी का है। सड़क से एक लाख वाहन कम होने से 8 लाख टन कार्बन मोनोऑक्साइड, 4, 75हजार टन नाइट्रोजन ऑक्साइड और लगभग 8 लाख टन हाइड्रोकार्बन की कमी वातावरण में आएगी। इस धुएं के कम होने से धुंध से परेशान एनसीआर की जनता को काफी राहत मिलेगी।