सहारनपुर। मैं खुशनसीब हूं, जो समय से घर लौट आया हूं, लेकिन मेरे कई दोस्त यूक्रेन में फंसे हैं, जिनकी जिंदगी को पल-पल खतरा बना है। 24 फरवरी की कीव एयरपोर्ट से उनकी फ्लाइट उड़ी, इसके कुछ देर बाद ही सूचना आ गई कि रूस ने हमला कर दिया है और सभी उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। मेरा भांजा भी यूक्रेन में ही फंसा है, जो हंगरी के रास्ते भारत लौटने की जद्दोजहद में जुटा है।

शहर के मोहल्ला अहमदबाग निवासी आदित्य राणा पुत्र सियाराम शुक्रवार की देर रात यूक्रेन से सकुशल अपने घर पहुंचे। उन्होंने बातचीत में यूक्रेन के हालात और वहां के लोगों के दर्द की दास्तां बताई। आदित्य राणा कीव में प्रोफेशनल लैंग्वेज का कोर्स कर रहे हैं। आदित्य राणा ने बताया कि करीब एक माह से यूक्रेन-रूस के बीच तनानती चल रही थी, लेकिन नागरिकों को अंदाजा नहीं था कि रूस हमला करेगा। क्योंकि, पहले भी इस तरह कई बार विवाद हो चुका है। उनके परिजन कई दिन से लगातार उन्हें घर लौटने के लिए कह रहे थे, लेकिन उन्हें लग रहा था कि अभी ऐसी जरूरत नहीं है

और हालात सामान्य रहेंगे, लेकिन परिजनों के बार-बार कहने पर 24 फरवरी की रात उन्होंने कीव से फ्लाइट पकड़ी और भारत लौट आए। उनकी फ्लाइट के उड़ने के दो घंटे बाद ही सूचना मिल गई कि रूस ने हमला करते हुए बमबारी कर दी है और सभी उड़ाने रद्द कर दी गई हैं।

आदित्य बताते हैं कि उनकी अपने भांजे व दोस्त से लगातार फोन पर बात हो रही है, जो बता रहे हैं कि खाने-पीने, टैक्सी और बस आदि से एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए चार गुना ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं। नाकाबंदी कर दी है। चेकिंग के बाद ही नागरिकों को आने जाने दिया जा रहा है।

शहर के मोहल्ला जनकपुरी निवासी वैभव गांधी पुत्र विरेंद्र गांधी भी यूक्रेन के कीव में एमबीबीएस कर रहे हैं। वह भी वहीं पर फंसे हुए हैं। परिजनों से उनकी बात तो हो रही है। है। वैभव गांधी की मां सरोज गांधी ने बताया कि शुक्रवार को पुत्र से बात हुई है। वैभव के पास खाने-पीने का सामान भी खत्म हो गया है। एंबेसी में भी बात हुई है। उनके पुत्र के साथ कई भारतीय छात्र वहां फंसे हुए और सभी बहुत परेशान हैं। उन्होंने सरकार से मदद कराए जाने की मांग की।