बागपत। विधानसभा चुनाव जैसे नजदीक आ रहे हैं, ऐसे ही राजनीतिक पार्टियों में टिकट के दावेदार भी बढ़ते जा रहे हैं। हालात यह है कि चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों के नेताओं से लड़ने की जगह टिकट के लिए नेता खेमों में बंटकर आमने-सामने आ गए हैं। टिकट के लिए खूब दांवपेंच लड़ा रहे हैं। इसके लिए बड़े नेताओं का भी सहारा लिया जा रहा है तो दिल्ली की दौड़ भी खूब लगाई जा रही है।
बागपत जिले में सबसे ज्यादा टिकट के दावेदार बड़ौत विधानसभा सीट से आगे आ रहे हैं। यहां रालोद से अभी तक सबसे ज्यादा दस नेता दावेदारी ठोंक रहे हैं, जिनमें पूर्व विधायकों से लेकर कई बड़े नेता भी शामिल हैं। भाजपा से भी कई दावेदार कतार में हैं। वर्तमान विधायक केपी मलिक भाजपा से होने के बावजूद यहां से भाजपा के टिकट के छह दावेदार हैं।
रालोद के गढ़ कहे जाने वाले छपरौली पर भी टिकट के लिए मारामारी मची है और टिकट के लिए सात नेता ताल ठोंक रहे हैं। इसका एक कारण यह भी माना जाता है कि जाट बाहुल्य सीट होने के कारण रालोद को बड़ा फायदा होता है, जबकि भाजपा से चार नेता इस सीट पर टिकट की लाइन में लगे हैं।
बागपत सीट पर वक्त के साथ टिकट के दावेदार दोनों ही पार्टियों में बढ़ रहे हैं। रालोद में जहां कुछ वक्त पहले तक केवल एक दावेदार था, वहीं अब वह तीन हो गए हैं। यह तीनों की तगड़ी दावेदारी ठोंक रहे हैं। वर्तमान में यह सीट भी भाजपा के पास है। अब यहां से भाजपा के टिकट के लिए चार दावेदार हैं। यह कतार भी लंबी होती जा रही है। सभी नेता टिकट की चाहत में दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं।
सपा अभी शांत
विधानसभा चुनाव को लेकर रालोद व सपा के गठबंधन को देखते हुए तीनों सीट रालोद के दावेदारों के खाते में जाने की उम्मीद है। क्योंकि बागपत रालोद का गढ़ रहा है। सपा नेता भी टिकट के लिए तुरंत ताल ठोंकने को तैयार हैं।
भाजपा में सांसद के समर्थक टिकट के लिए ज्यादा जोर लगा रहे
जिले की तीनों सीटों बागपत, बड़ौत, छपरौली पर भाजपा के विधायक हैं। इसके बाद भी हर सीट पर टिकट के दावेदार काफी हैं। इनमें सबसे ज्यादा सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह के समर्थक टिकट के दावेदारों की लाइन में लगे हैं। उनका मानना है कि सांसद के सहारे से उनकी टिकट की राह आसान हो सकती है।
चुनाव नजदीक आते ही बसपा व कांग्रेस के दावेदार भी बढ़ने लगे
चुनाव नजदीक आते ही बसपा व कांग्रेस में टिकट के दावेदार भी आगे आने लगे हैं। तीनों सीटों पर बसपा के जहां करीब 11 दावेदार हैं, वहीं कांग्रेस के 10 दावेदार टिकट की लाइन में लगे हैं। हालांकि अन्य पार्टियों के मुकाबले बसपा व कांग्रेस के दावेदार शांत रहकर टिकट की जुगत में लगे हैं। बसपा को अन्य पार्टियों के प्रत्याशी घोषित होने का इंतजार है, वहीं कांग्रेस जल्द ही अपने प्रत्याशी घोषित कर सकती है।
चुनाव लड़ने के इच्छुक टिकट के लिए दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन यह हाईकमान तय करता है कि टिकट किसे देकर चुनाव लड़ाना है। सपा के साथ गठबंधन की घोषणा के बाद अब प्रत्याशी घोषित होने की उम्मीद है। – जगपाल सिंह तेवतिया, जिलाध्यक्ष रालोद
भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है, तो दावेदार भी ज्यादा ही रहेंगे। यह सबकुछ हाईकमान के स्तर पर चल रहा है कि टिकट किसको दिया जाएगा। चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता अपनी दावेदारी कर सकते हैं और इसके लिए वह स्वतंत्र हैं। – सूरजपाल गुर्जर, जिलाध्यक्ष भाजपा
रालोद-सपा गठबंधन के बाद जब पार्टी हाईकमान यह तय करेगा कि किस सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा तो उसके बाद ही टिकट के दावेदारों की स्थिति साफ होगी। सपा के सभी नेता अभी केवल प्रदेश में सरकार को बदलने के लिए मैदान में उतरे हुए हैं। – मनोज चौधरी, जिलाध्यक्ष सपा
बसपा में तीनों सीट पर टिकट के दावेदार आ रहे हैं। बसपा अन्य पार्टियों का इंतजार कर रही है। जब अन्य पार्टियां अपने प्रत्याशी घोषित कर देगी तो बसपा के प्रत्याशी भी तुरंत घोषित कर दिए जाएंगे। – श्यामसुंदर गौतम, जिलाध्यक्ष बसपा
कांग्रेस में टिकट के काफी दावेदार हैं और एक सीट पर टिकट लगभग तय हो चुका है। जबकि अन्य दो सीटों पर जल्द ही प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे। – डॉ. यूनुस चौधरी, जिलाध्यक्ष कांग्रेस