हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली है. इसे लेकर सेबी ने बड़ा बयान दिया है. सेबी की ओर से कहा गया है कि पिछले सप्ताह में एक कारोबारी समूह के शेयरों में असामान्य रुप से उतार-चढ़ाव देखा गया है. सेबी बाजार की अखंडता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. सेबी ने कहा कि वह बाजार की संरचनात्मक मजबूती के लिए भी प्रतिबद्ध है. साथ ही कहा कि हम ये चाहते हैं कि शेयर बाजार पारदर्शी और कुशल तरीके से काम करता रहे.

4 फरवरी की एक प्रेस विज्ञप्ति में सेबी ने कहा कि हम बाजार के व्यवस्थित और कुशल कामकाज को बनाए रखना चाहते हैं और खास शेयरों में अत्यधिक अस्थिरता को दूर करने के लिए सार्वजनिक रूप से निगरानी की व्यवस्था भी मौजूद है.

सेबी ने कहा कि निगरानी की व्यवस्था किसी भी शेयर में कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव होने पर कुछ शर्तों के साथ खुद ही चालू हो जाती है. सेबी का बयान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उस बयान के बाद आया है जिसमें उधारदाताओं की चिंताओं को दूर करते हुए कहा है कि देश की बैंकिंग प्रणाली लचीली और स्थिर बनी हुई है.

सेबी के इस बयान के बाद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि सिर्फ सेबी को पता है कि जून 2021 से क्या कार्रवाई की गई है.

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि भारत के गौरव का प्रतिनिधित्व किसी व्यक्ति की संपत्ति से नहीं होना चाहिए और सेबी जैसे अधिकारियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे आर्थिक क्षेत्र में किस तरह की भूमिका निभाते हैं.

पश्चिम बंगाल के सांसद ने याद करते हुए कहा, “जब अमेरिका के शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने सेबी से पूछा कि उन्होंने मेरे सवालों का जवाब क्यों नहीं दिया, तो उन्होंने कहा कि वे जवाब देने के लिए अभी तक किसी तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं. यह 2019 में मेरे सवालों के बारे में था.

आरबीआई ने कहा था कि हमारे पास बड़े क्रेडिट (CRILC) डेटाबेस सिस्टम पर सूचना का एक केंद्रीय भंडार है, जहां बैंक 5 करोड़ रुपये और उससे अधिक के अपने जोखिम की रिपोर्ट करते हैं, जिसका उपयोग निगरानी उद्देश्यों के लिए किया जाता है.

न्यूयॉर्क स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अडानी समूह की कंपनियों पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें समूह पर दशकों से स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. इसके अलवा रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप की लिस्टेड सात कंपनियां ओवरवैल्यूड हैं.

वहीं, 413 पन्नों के जवाब में अडानी ग्रुप ने कहा कि रिपोर्ट ‘झूठी धारणा बनाने’ की ‘छिपी हुई मंशा’ से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके. अडानी ग्रुप ने कहा कि इन 88 सवालों में से कई ऐसे हैं, जो कोई नई बात नहीं बताते. ये सिर्फ उन पुरानी बातों को फिर से दोहरा रहे हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया में गलत साबित हो चुकी हैं. कंपनी की तरफ से कहा गया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ‘गलत जानकारी और झूठे आरोपों’ के आधार पर बनी है.