नई दिल्ली. अगर आप रेगुलर कमाई के लिए कोई बिजनेस शुरू करने का प्लान बना रहे हैं तो टोफू यानी सोया पनीर का प्लांट आपके लिए अच्छा जरिया बन सकता है. टोफू के इस बिजनेस में थोड़ी सी मेहनत और सूझबूझ से आप खुद को एक ब्रांड के रूप में भी स्थापित कर सकते हैं. लगभग 3 से 4 लाख रुपये के इन्वेस्टमेंट से कुछ महीनों में ही आप हजारों नहीं बल्कि लाखों रुपये कमा सकते हैं. आइए जानते हैं इस बिजनेस के बारे में.
टोफू के बिजनेस को शुरू करने में आपको 3 से 4 लाख रुपये का खर्च आएगा. इसमें मशीनें और रॉ मटेरियल शामिल है. लगभग 2 से 3 लाख रुपये की आपको बॉयलर, जार, सेपरेटर, छोटा फ्रीजर आदि सामान खरीदने होंगे. इसके बाद 1 लाख रुपये में आपको सोयाबीन खरीदनी होगी. जो टोफू बनाना जानता हो ऐसे कारीगर को भी शुरुआत में आपको हायर करना होगा ताकि आपका माल खराब न हो.
टोफू बनाना बिल्कुल आम दूध के पनीर बनाने जितना ही आसान होता है. बस फर्क इतना है कि इसमें पहले आपको दूध बनाना होता है. इसके लिए पहले सोयाबीन को पीसकर 1:7 के अनुपात में आपको पानी के साथ फेटकर उबालना होता है. बॉयलर और ग्राइंडर में एक घंटे की प्रक्रिया में आपको लगभग 4 से 5 लीटर दूध मिलता है. इसके बाद दूध को सेपरेटर में डाला जाता है, इससे दूध दही जैसा गाढ़ा हो जाता है और इससे बचा हुआ पानी निकाला जाता है. तकरीबन 1 घंटे की प्रक्रिया के बाद आपको लगभग 2.5 से 3 किलोग्राम पनीर मिल जाता है.
टोफू का बाजार में प्राइस 300 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम है. आपको 1 किलोग्राम सोयाबीन से पूरी प्रक्रिया के बाद लगभग 2.5 किलोग्राम पनीर मिलता है. इस तरह आप अगर एक दिन में 10 किलोग्राम पनीर भी बनाते हैं तो इसका बाजार में भाव लगभग 3-4 हजार रुपए होता है. ऐसे में यदि लेबर, बिजली, आदि के खर्च को अगर 50 फीसदी भी मानते हैं तो आपको इस हिसाब से 40 हजार रुपए की नेट बचत होती है. प्रतिदिन आप अगर 30 से 35 किलोग्राम टोफू बनाकर बाजार में बेचने में कामयाब हो जाते हैं तो आप आराम से 1 से 1.50 लाख रुपये महीना कमा सकते हैं.
प्रोजेक्ट के लिए यदि आपके पास पूंजी नहीं है तो हर छोटे मंझोले उद्योग की जैसे ही आपको इसके लिए भी लोन मिल सकता है. इसके लिए आपको अपने प्रोजेक्ट को जिला उद्योग कार्यालय में प्रस्तुत करना होगा. इसके बाद मुनाफे और लागत का आंकलन करके आपको सब्सिडी वाला लोन मिल जाता है. इसके लिए समय समय पर केंद्र और राज्य सरकारों के एसएमई प्रोजेक्ट़स के लिए बिना ब्याज या कम ब्याज वाले लोन में भी शामिल किया जाता है.
सोया पनीर बनाने में आपके पास बाय प्रोडक्ट के रूप में खली बचती है. बता दें कि इससे भी कई प्रोडक्ट तैयार होते हैं. इस खली का इस्तेमाल बिस्कुट बनाने में भी होता है. इसके बाद जो प्रोडक्ट बनता है उससे बड़ी तैयार होती. इस बड़ी को खाने में इस्तेमाल किया जाता है. यह भी प्रोटीन का एक रिच सोर्स माना जाता है.