शिमला। सत्ता में वापसी की राह देख रही हिमाचल प्रदेश कांग्रेस ने बड़ी घोषणाएं की हैं। प्रदेश की वित्तीय हालत ठीक नहीं है। यहां तक कि कर्मचारियों का वेतन देने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश पर 67 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। 300 यूनिट तक निश्शुल्क बिजली, 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देने पर करोड़ों का खर्च आएगा। हर विधानसभा क्षेत्र में रूरल इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करने के लिए ही 680 करोड़ रुपये का बजट चाहिए। इन घोषणाओं को पूरा करने की प्रदेश की वित्तीय स्थित अनुमति नहीं देती।

सोमवार को हुई कांग्रेस चुनाव घोषणा पत्र कमेटी की बैठक में महिलाओं को मासिक 1500 रुपये और 300 यूनिट बिजली निश्शुल्क देने की घोषणा पर कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई है। तर्क दिया कि इसके लिए बजट कहां से आएगा। कई ने कहा कि ऐसी घोषणाएं करने से परहेज करना चाहिए, जिनके लिए बजट का प्रविधान न हो। कांग्रेस यह बता नहीं पा रही है कि इसके लिए बजट कहां से आएगा।

प्रदेश की भाजपा सरकार ने पहले 60 यूनिट तक बिजली निश्शुल्क देने की घोषणा की। इससे 10 लाख सात हजार लोगों का बिजली बिल माफ हुआ। इसके बाद सरकार ने इसे 125 यूनिट कर दिया। इससे 15 लाख लोगों का बिल माफ हुआ। कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह 300 यूनिट बिजली निश्शुल्क देगी। इस घोषणा से प्रदेश के 22 लाख घरेलू उपभोक्ता कवर हो जाएंगे, यानी सभी का बिल माफ हो जाएगा। 125 यूनिट बिजली निश्शुल्क देने से बोर्ड पर 100 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ा है। 300 यूनिट से 200 करोड़ का वित्तीय भार पड़ेगा।

2017 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या 24 लाख है। यदि 18 से 60 आयु वर्ग को लें तो करीब 20 लाख महिलाएं इसके दायरे में आएंगी। यदि 15 लाख महिलाओं को भी 1500-1500 रुपये हर महीने देने पड़े तो 225 करोड़ रुपये का बजट चाहिए।

कांग्रेस की चुनाव घोषणा पत्र कमेटी लोगों से सुझाव ले रही है। कमेटी ने तय किया है कि प्रदेश में व्यर्थ के खर्च को कम किया जाएगा। इसमें निगम-बोर्डों में अध्यक्षों की फौज न रखने की भी पैरवी की है। इसके अलावा गाडिय़ों का खर्च कम करने से लेकर अन्य खर्च को कम करने की सलाह दी गई है।

प्रदेश सरकार के वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट के अनुसार प्रति 100 रुपये में से वेतन पर 26, पेंशन पर 15, ब्याज की अदायगी पर 10, ऋण की अदायगी पर 11, स्वायत्त संस्थानों की ग्रांट पर नौ रुपये खर्च होते हैं। 29 रुपये पूंजीगत कार्यों सहित अन्य गतिविधियों पर व्यय किए जाते हैं।

मुख्य पर्यवेक्षक कांग्रेस भूपेश बघेल का कहना है न्यू पेंशन के लिए दो शेयर कटते हैं। पहला शेयर कर्मचारियों का होता है और दूसरा प्रदेश सरकार का। यह सारा बजट केंद्र के पास जमा है। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने के लिए इस शेयर को वापस लिया जाएगा। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इसको लेकर पूरी तैयारी कर ली है। ओपीएस लागू करने से कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।

प्रदेश प्रभारी कांग्रेस राजीव शुक्ला ने कहा पार्टी ने जो भी घोषणाएं की हैं, उन पर सभी सहयोगियों के साथ चर्चा की है। अन्य राज्यों में भी कांग्रेस इन योजनाओं को लागू कर चुकी है। कोई भी बात हवा में नहीं की है। मैं देश का योजना मंत्री रहा हूं, वित्तीय संसाधन कैसे जुटाए जाते हैं यह जानता हूं। कांग्रेस का प्रदेश की जनता से वादा है कि इन्हें सत्ता में आने के बाद तय समय के भीतर लागू किया जाएगा।