नई दिल्ली. संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने का मतलब शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखने से है। हालांकि कई कारणों से लोगों में तनाव-चिंता जैसी कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हुई रिपोर्ट की जा रही हैं। तनाव की समस्या गंभीर स्थितियों में अवसाद का भी कारण बन सकती है, यही कारण है कि विशेषज्ञ सभी लोगों को तनाव से बचने के उपाय करते रहने की सलाह देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि तनाव, हमेशा नुकसानदायक नहीं होता है। यह सुनने में अजीब जरूर लग रहा होगा पर हालिया शोध में विशेषज्ञों ने कुछ स्थितियों में मस्तिष्क के लिए तनाव की स्थिति को लाभकारी भी पाया है।

जॉर्जिया विश्वविद्यालय स्थित यूथ डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक हालिया अध्ययन में बताया है कि अपने काम को समय पर पूरा करने को लेकर तनाव की स्थिति वास्तव में आपके दिमाग के लिए अच्छी होती है, भले ही आपको ऐसा लगता है कि यह आपके लिए बड़ा भार है पर वास्तव में इसका मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव हो सकता है। इस तरह के तनाव को शोधकर्ताओं ने अध्ययन में सकारात्मक पाया है। आइए इस शोध के बारे में जानते हैं।
तनाव, कार्य की गुणवत्ता सुधारने में सहायक

हाल ही में साइकेट्री रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि हल्के स्तर की तनाव की स्थिति व्यक्ति में कार्य की गुणवत्ता और लचीलेपन को बढ़ाती है। इतना ही नहीं यह अवसाद और असामाजिक व्यवहार जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकारों के विकास के जोखिम को कम करने में भी सहायक हो सकती है। हल्के स्तर का तनाव, विशेषकर काम को लेकर होने वाला तनाव आपको भविष्य में आने वाली इस तरह की समस्याओं से मुकाबले के लिए तैयार करती है। इस नजरिए से तनाव की स्थिति को सकारात्मक माना जा सकता है।

अध्ययन के प्रमुख लेखक असफ ओश्री कहते हैं, यदि आप ऐसे माहौल में हैं जहां पर किसी लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर लोगों में तनाव और तन्मयता है तो ऐसी परिस्थितियां कोपिंग मैकेनिज्म विकसित करने वाली होती हैं। ऐसी स्थितियां आपको समय के साथ काम में अधिक कुशलता प्राप्त करने और प्रभावी बनने में सहायता प्रदान करती है। आज की नकारात्मक परिस्थितियों का सफलता पूर्वक मुकाबला करना आपको भविष्य में आने वाली इसी तरह की दिक्कतों से बेहतर ढंग से मुकाबले में मदद करती हैं।

शोधकर्ताओं ने अध्ययन में कुछ प्रकार के तनावपूर्ण स्थितियों का जिक्र किया है जो आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। जैसे परीक्षा के लिए अध्ययन करने, किसी बड़ी मीटिंग के लिए तैयारी, कुछ बड़ा प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक काम करने के दौरान होने वाली तनाव की स्थिति को सकारात्मक प्रभावों वाला माना जा सकता है। यह सभी संभावित रूप से व्यक्तिगत विकास में मददगार हो सकते हैं। तनाव की इस प्रकार की सकारात्मक स्थितियां भविष्य में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के लिए वैक्सीन का काम करती हैं।
तनाव की गंभीरता को जानिए

हालांकि अध्ययनकर्ताओं की टीम का कहना है कि चूंकि उचित तनाव और बहुत अधिक तनाव के बीच बहुत पतली रेखा होती है, जिसका ख्याल रखना सभी के लिए बहुत आवश्यक है। प्रोफेसर ओश्री ने इसे उदाहरण के साथ समझाया है। वह कहते हैं, यह बिल्कुल उसी तरह से है जैसे कि जब आप कुछ कठिन काम करते रहते हैं तो त्वचा पर थोड़ा रूखापन आ जाता है। कुछ समय के बाद त्वचा उसी की अभ्यस्त हो जाती है, हालांकि अगर आप बिना किसी सावधानी के इस दबाव को बढ़ाते जाते हैं तो इसके कारण त्वचा पर क्षति होने का खतरा भी हो सकता है। तनाव की स्थिति के साथ भी ऐसा ही है। हम सभी को इसकी गंभीरता को समझने की आवश्यकता होती है, बहुत अधिक तनाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए नकारात्मक हो सकता है।

डॉ ओश्री कहते हैं, एक निश्चित बिंदु तक तनाव होना ठीक है पर उससे अधिक होना आपके लिए गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है। काम को समय पर करने या लक्ष्य को हासिल करने को लेकर तनाव सकारात्मक प्रभावों वाला माना जाता है, पर अगर यह अधिक हो रहा है तो इसके भी नुकसान हो सकते हैं। इसी तरह गरीबी में रहने या दुर्व्यवहार के शिकार लोगों में तनाव की स्थिति अवसाद और गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण बन सकती है। इस थिन लाइन का ध्यान रखना आवश्यक है, तनाव को प्रतिबंधित करने वाले उपायों को प्रयोग में लाते रहना आज के समय में सभी उम्र वाले लोगों के लिए आवश्यक है।