नई दिल्ली। निवेश को लेकर भारत में बड़ी संख्या में लोग डाकघर पर भरोसा करते हैं। सरकारी संस्था होने के कारण डाकघर में निवेश एकदम सुरक्षित होता है और इसके डूबने का भी कोई खतरा नहीं रहता। इसके अलावा इसमें बैंक एफडी से अधिक ब्याज मिलता है। आज हम डाकघर की एक ऐसी स्कीम की बात करने जा रहे हैं, जिसमें निवेशकों को अधिक ब्याज दर के साथ चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलता है। यह स्कीम है नेशनल सेविंग सर्टिफिके

एनएससी डाकघर की एक लोकप्रिय स्कीम है, जो 5 साल के लॉक इन पीरियड के साथ आती है। इसका मतलब यह है कि एक बार पैसा जमा करने के बाद इसे आप पांच साल बाद ही निकाल सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए तो एनएससी पैसा कमाने का एक बेहतर जरिया है। इस स्कीम में निवेश आप अपने या फिर नाबालिग के नाम पर ले सकते हैं। दो लोग मिलकर भी एक एनएससी ले सकते हैं।

एनएससी पर ब्याज बैंक एफडी के मुकाबले अधिक होती है। इसका निर्धारण केंद्र सरकार के द्वारा तिमाही आधार पर किया जाता है। मौजूदा समय में सरकार एनएससी पर 6.8 फीसदी का ब्याज दे रही है। एनएससी में निवेश की खास बात यह है कि इसमें आप 1000 रुपये की राशि से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। अधिकतम निवेश की कोई भी सीमा नहीं है। अगर आप आज 1000 रुपये की एनएससी खरीदते हैं, तो 5 साल बाद आपका निवेश बढ़कर 1389 रुपये हो जाएगा। वहीं, अगर आप 10 लाख एनएससी में आज निवेश करते हैं, तो पांच साल बाद आपका निवेश बढ़कर 13.89 लाख हो जाएगा।

एनएससी में सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें निवेश करने पर आपको एक वित्त वर्ष में आप इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट का दावा कर सकते हैं।

समय से पहले आप एनएससी से पैसा केवल तीन मामलों में निकल सकते हैं- पहला, जमाकर्ता की मृत्यु हो जाए, दूसरा, अदालत के आदेश पर और तीसरा, यदि गिरवीदार द्वारा एनएससी जब्त कर ली जाए। अगर एनएससी को निवेश करने के 1 साल के अंदर ही तोड़ा जाता है, तो केवल उसकी फेस वैल्यू ही अदा की जाती है। अगर एनएससी को निवेश के एक साल के बाद और तीन साल से पहले तुड़वाया जाता है, तो केवल सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज जितना ही ब्याज दिया जाता है। अगर निवेश के तीन साल बाद एनएससी को तोड़ा जाता है तो इसका नकदीकरण डिस्काउंट वैल्यू पर किया जा सकता है।