दोघट क्षेत्र के निरपुड़ा गांव के रहने वाले ब्रिजेंद्र राणा की यूक्रेन के खारकीव में दवाइयों की कंपनी है। उनके भाई कुलबीर राणा ने बताया कि यूक्रेन में ब्रिजेंद्र राणा अपनी पत्नी व बेटी के साथ रहते है।
यूक्रेन में फंसीं बागपत की छात्राएं।
रूस के हमले के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वतन वापसी के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोई छात्र जंगल और पहाड़ों के रास्ते से 50 किलोमीटर पैदल चलकर रोमानिया के बॉर्डर तक पहुंचा तो कोई ट्रेन से हंगरी तक गया। भूख और प्यास अलग से इम्तिहान ले रही है। परिजनों से संपर्क करने में भी लगातार समस्या आ रही है। इससे परिजनों की चिंता और ज्यादा बढ़ गई है। हर कोई अब सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों पर टकटकी लगाए हुए है।
50 किमी पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचा आमिर
रमाला क्षेत्र के असारा गांव के रहने वाले गय्यूर का बेटा आमिर भी यूक्रेन के खारकीव की नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहा है। गय्यूर ने बताया कि चार दिन बाद आमिर से रविवार सुबह संपर्क हो सका। उसने बताया कि वह पहाड़ी और जंगल के रास्ते से करीब 50 किलोमीटर पैदल चलकर रोमानिया बॉर्डर तक पहुंच गया है। उसके साथ अन्य काफी छात्र भी रोमानिया बॉर्डर पर पहुंचे है। इन सभी को खाने व पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। इंटरनेट की समस्या भी हो रही है। बेटे से बातचीत होने के बाद गयूर व परिवार के अन्य सदस्य दिल्ली पहुंच गए है, जिससे अधिकारियों से बात करके बेटा जल्द भारत आ सके।
घर के पास ही मिसाइल गिरी तो बढ़ गई दहशत
दोघट क्षेत्र के निरपुड़ा गांव के रहने वाले ब्रिजेंद्र राणा की यूक्रेन के खारकीव में दवाइयों की कंपनी है। उनके भाई कुलबीर राणा ने बताया कि यूक्रेन में ब्रिजेंद्र राणा अपनी पत्नी व बेटी के साथ रहते है। हमले के बाद वह लगातार बिजेंद्र से बात कर रहे है। बिजेंद्र ने बताया कि उनके मकान के पास मिसाइल गिरी थी, जिसके बाद से ज्यादा दहशत में रह रहे है। सब कुछ बंद हो गया है। हालांकि युद्ध शुरू होने से पहले ही खाने का सामान जुटा लिया था।
बागपत: यूक्रेन से मां संतोष वर्मा से बात करता बेटा सागर वर्मा।
मेट्रो स्टेशन में रहना पड़ रहा, भोजन के लिए बढ़ने लगी परेशानी
अग्रवाल मंडी टटीरी कस्बे के रहने वाले श्रीपाल वर्मा का पोता सागर वर्मा भी खारकीव में एमबीबीएस करने गया था। वह पिछले कई दिनों से मेट्रो स्टेशन में रह रहा है। सागर ने बताया कि पानी के लिए दस किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। भोजन तक के लिए अब परेशानी होने लगी है। खाने का सामान नहीं मिल रहा है। सागर ने बताया कि करीब 15 स्टेशनों पर साढ़े चार हजार से ज्यादा छात्र फंसे हुए है। वह किसी तरह अपने देश लौटना चाहते है।
रूस में रहने वाले छात्र भी चिंतित
युद्ध होने के बाद रूस में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र भी चिंतित है। चांदीनगर के रटौल के रहने वाले डॉ. शकील का पुत्र आतिफ अली रूस से एमबीबीएस कर रहा है। युद्ध के बाद से आतिफ अली भी परेशान है। आतिफ अली के चाचा हबीब खान लगातार वीडियो काल कर हाल चाल जानने में लगे है।
कई घंटों का सफर कर ट्रेन से हंगरी पहुंची अनुष्का
मेरठ रोड पर रहने वाले ओमबीर ढाका की बेटी अनुष्का ढाका पिछले कई दिन से ओडिसा में फंसी थी। अनुष्का ने बताया कि पहले वे सब बस से रोमानिया बॉर्डर जाने की शनिवार रात को तैयारी कर रहे थे। मगर, रोमानिया भी ज्यादा छात्र पहुंचने के कारण स्थिति ठीक नहीं है। इस कारण ही वह शनिवार रात में करीब दो बजे ट्रेन में सवार हुई और रविवार शाम को हंगरी पहुंची। अब वहां से फ्लाइट से भारत लौटने की तैयारी कर रही है, जिसके लिए दूतावास में संपर्क कर रहे है।